आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अपना पद छोड़ने से पहले सरकार को सलाह दी है कि वो उधार लेना बंद करे, क्योंकि इससे कंपनियों पर असर पड़ रहा है। विरल का आरबीआई में मंगलवार को आखिरी दिन है। अपना कार्यकाल पूरा होने के छह महीने पहले ही त्यागपत्र दे दिया था। वो पहले भी केंद्र सरकार को आरबीआई को ज्यादा स्वायत्ता देने के लिए अपना पक्ष रख चुके हैं, जिसके बाद दोनों की बीच तनातनी चल रही थी।
86 फीसदी हो चुकी है उधारी दर
विरल आचार्य ने एक समारोह में बोला कि भारत की उधारी दर 2000 से लेकर के अभी तक 67 से 86 फीसदी के बीच में है, जोकि विकासशील देशों में सबसे ज्यादा है। आरबीआई ने अपनी वेबसाइट पर विरल आचार्य के पूरे भाषण को प्रकाशित किया है।
खत्म करें सब्सिडी वाली योजनाएं
आचार्य ने सरकार को सुझाव दिया है कि वो उन सब्सिडी वाली योजनाओं को बंद करें, जिसका किसी तरह का कोई फायदा नहीं मिल रहा है। इसके साथ ही सरकारी कंपनियों में से अपनी हिस्सेदारी खत्म करें, ताकि निजी सेक्टर इनमें सही ढंग से निवेश कर सकें। विरल आचार्य ने कहा कि केंद्रीय बैंक की स्वायत्ता को नजरअंदाज करना विनाशकारी हो सकता है। आरबीआई की नीतियां नियमों पर आधारित होनी चाहिए। उनके भाषण को आरबीआई की वेबसाइट पर भी पोस्ट किया गया है।
बाजार हो सकता है नाराज
अगर सरकार केंद्रीय बैंक की आजादी का सम्मान नहीं करेगी तो उसे जल्दी या बाद में आर्थिक बाजारों की नाराजगी का शिकार होना पड़ेगा। सरकारें केंद्रीय बैंक की आजादी का सम्मान नहीं करेंगी तो उन्हें बाजारों से निराशा ही हाथ लगेगी। उन्होंने कहा कि इसके बाद सरकार को पछतावा होगा कि एक महत्वपूर्ण संस्था को कमतर आंका गया। आरबीआई का काम सरकार को अप्रिय लेकिन क्रूर ईमानदार सच्चाई बताने का है और वो सरकार का एक ऐसा मित्र है, जो अर्थव्यवस्था के बारे में सचेत करता रहता है।
लोन माफ करना खतरनाक
विरल ने कहा कि सरकारों की तरफ से लोन को माफ करना काफी खतरनाक है। इससे बैंकों को लंबे समय में काफी नुकसान होगा। अगर सरकारें लोन माफ करती रहीं तो फिर बैंकों के लिए ऐसे हालत में काम करना मुश्किल हो जाएगा।