आज शुरू होगी आरबीआई की बैठक, क्या आम जनता को मिलेगी राहत या बढ़ेगा बोझ?
RBI Monetary Policy: रिजर्व बैंक (Reserve bank of india) की मौद्रिक समीक्षा नीति (RBI Monetary Policy) की बैठक आज यानी 6 अक्टूबर से शुरू हो जाएगी. मार्केट एक्सपर्ट के मुताबिक, दूसरी तिमाही की इस बैठक में आरबीआई (RBI MPC) लगातार 8वीं बार ब्याज दरों को बिना बदले रख सकता है. एक्सपर्ट का मानना है कि विदेशी बाजारों में कमोडिटी कीमतों में बढ़ोतरी के बीच महंगाई दर पर नियंत्रण रखने के लिए आरबीआई यह फैसला ले सकता है. यह बैठक 6 अक्टूबर से शुरू होकर 8 अक्टूबर 2021 तक चलेगी.
मई 2020 में आखिरी बार हुई थी कटौती
केंद्रीय बैंक ने आखिरी बार मई, 2020 में रेपो दर (Repo Rate) में बदलाव किया था. मई महीने में आरबीआई ने रेपो रेट्स में 0.40 फीसदी की कटौती की थी, जिसके बाद रेपो रेट घटकर चार फीसदी हो गया था. साल 2020 में कोरोना महामारी की वजह से देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित थी. इकोनॉमी को पटरी पर लाने और आम जनता के बोझ को कम करने के लिए सरकार ने रेपो रेट में कटौती का ऐलान किया था. मई 2020 के बाद से लगातार ब्याज दरों में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया जा रहा है.
8 अक्टूबर को आएंगे नतीजे
इसके अलावा रिवर्स रेपो भी 3.35 फीसदी पर कायम था. बैंक दर 4.25 फीसदी पर बरकरार था. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुआई वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिन की बैठक के रिजल्ट 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे.
RBI का नरम रुख रहेगा जारी
मार्गन स्टेनली की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों को ना केवल यथावत रखेगा बल्कि अपने नरम रुख को भी जारी रखेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 5 फीसदी के आसपास रहेगी. भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने हाल में कहा था कि ऐसा लगता है कि ब्याज दरें यथावत रहेंगी. उन्होंने कहा था कि वृद्धि में कुछ सुधार है. ऐसे में मुझे लगता है कि ब्याज दरें नहीं बढ़ेंगी. हालांकि यह माना जा रहा है कि केंद्रीय बैंक की टिप्पणी में मुद्रास्फीति का उल्लेख होगा.
इकोनॉमी को मिलेगी रफ्तार
भारत में कोलियर्स के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) रमेश नायर ने कहा कि आगामी मौद्रिक समीक्षा बैठक में ब्याज दरों में बदलाव नहीं होगा. उन्होंने कहा कि इससे आवास बाजार और इकोमॉमी को रफ्तार मिलेगी. घरों की कीमतों में स्थिरता, कुछ राज्यों में स्टांप शुल्क में भारी कटौती और अपना घर खरीदने की इच्छा की वजह से 2020 की चौथी तिमाही से मांग में सुधार हुआ है.