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Rcom के 260 करोड़ रुपये पर जंग, किसका है पहला हक ?

कर्ज में डूबी अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के 260 करोड़ रुपये को लेकर विवाद छिड़ गया है. दरअसल, आरकॉम के कर्जदाताओं ने कंपनी को मिले 260 करोड़ रुपये के आयकर रिफंड पर अपना दावा ठोका है. कर्जदाताओं ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के सामने कहा है कि इस रकम पर पहला हक उनका है. बता दें कि न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है.

क्‍या है कर्जदाताओं का तर्क

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के साथ संयुक्त कर्ज देने वाली फोरम (जेएलएफ) के अन्य सदस्यों ने कहा कि आरबीआई दिशानिर्देशों के तहत ट्रस्ट खाते और उसकी देखरेख का अधिकार उनके पास है.  इस खाते में कंपनी को मिला रिफंड जमा है. वहीं एसबीआई की ओर से पेश वकील नीरज किशन कौल ने जेएलएफ के समर्थन में कहा कि  आरकॉम की संपत्ति की बिक्री से 37,000 करोड़ रुपये की वसूली नहीं होने के लिए जेएलएफ को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.  उन्होंने कहा कि जियो के आरकॉम का पिछला कर्ज चुकाने से इनकार करने की वजह से मामले का समाधान नहीं हो सका.

अंबानी झेल रहे अवमानना

बीते महीने रिलायंस ग्रुप के प्रमुख अनिल अंबानी पर सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का दोषी करार दिया. दरअसल, आरकॉम ने कोर्ट के आदेश के बाद भी स्‍वीडिश टेलिकॉम कंपनी एरिक्‍सन की 500 करोड़ रुपये की बकाया राशि का समय पर भुगतान नहीं किया था. बता दें कि टेलिकॉम ऑपरेटर कंपनी एरिक्सन ने 2014 में अनिल अंबानी की कंपनी आरकॉम का टेलिकॉम नेटवर्क संभालने के लिए 7 साल की डील की थी. आरकॉम पर एरिक्‍सन की 500 करोड़ की बकाया राशि है.मामले में कोर्ट ने अंबानी के अलावा ग्रुप के दो अधिकारियों को भी अवमानना का दोषी पाया है.

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