काशी विश्वनाथ मंदिर में एक साल में आये रिकॉर्ड 7 करोड़ श्रद्धालु, हुई 100 करोड़ की आय
वाराणसी ; प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरिडोर या विश्वनाथ धाम ना केवल अपनी भव्यता के लिए पहचाना जा रहा है, बल्कि उसने आय के सभी पुराने रिकार्ड को ध्वस्त भी कर दिया है. 13 दिसंबर को पीएम मोदी ने अपने हाथों विश्वनाथ धाम का लोकार्पण किया था. तब से लेकर अब तक साढ़े 7 करोड़ श्रद्धालुओं से मंदिर को दान में रिकॉर्डतोड़ 100 करोड़ रूपए की आमदनी हो चुकी है.
विश्वनाथ कॉरिडोर या विश्वनाथ धाम की वर्षगाठ पर विशेष आयोजन से लेकर पूरे एक साल में हुई रिकार्ड 100 करोड़ की कमाई पर मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि इस पूरे एक साल में कई बदलाव हमने देखे, चाहे वह श्रद्धालुओं की सुविधाओं में बढ़ोतरी हो या फिर अन्य विकास के काम हुए हो, 13 दिसंबर को वर्षगाठ को मनाया जाएगा, जिसमें हवन-पूजन सुबह से शुरू होकर विद्वानों का सम्मान और फिर गोष्ठी भी है.
शाम को सांस्कृतिक कार्यक्रम है, जिसमें पार्श्व गायिका अनुराधा पौडवाल का भजन भी है. इस आयोजन का मकसद ही है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस धाम से जोड़ा जाए. उन्होंने आगे बताया कि मंदिर में होने वाले आयोजन के अलावा काशीवासी शिव बारात भी निकालेंगे और यह अच्छी बात है कि धाम से लोग जुड़ रहे हैं.
मंदिर की रिकार्ड 100 करोड़ रूपयों की आमदनी के बारे में बताते हुए मंदिर के CEO सुनील वर्मा ने आगे बताया कि जब धाम शुरू हुआ था, तब ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालुओं को जोड़ने की परिकल्पना बनाई गई थी, ताकि श्रद्धालुओं बेहतर तरीके से अपनी धार्मिक क्रियाकलाप को भी कर सके. इसके चलते लगातार श्रद्धालु बढ़ते गए और लोकार्पण से लेकर पूरे साल में साढ़े 7 करोड़ श्रद्धालुओं ने दर्शन किया, जो नया कीर्तिमान भी है.
इसका साकारात्मक परिणाम यह हुआ कि मंदिर के दान में भी इजाफा हुआ और 40 प्रतिशत तक का चढ़ावा ऑनलाइन मंदिर को मिला. सिर्फ नकद ही नहीं, दान बहुमूल्य धातुओं के रूप में भी दिया गया. उन्होंने बताया कि दो तरह से रेवेन्यू अर्जित हुआ है, एक तो सेवाओं के एवज में मिला और दूसरा बहुमूल्य धातु के रूप में प्राप्त किया गया.
मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील वर्मा ने बताया कि नकद के रूप में 50 करोड़ रूपए मंदिर को मिले है और लगभग 50 करोड़ रूपए के बहुमूल्य धातु भी मिले हैं. इस चढ़ावे या दान को इस नजरिये से नहीं देखा जा रहा है कि आय हुई है, बल्कि इस तरह देखा जा रहा है कि लोग हमसे जुड़ रहे हैं. इससे प्रेरणा मिल रही है कि और अच्छी सुविधा दे सके, मकसद यही है कि विश्वनाथ मंदिर को सामाजिक और धार्मिक सरोकार से ज्यादा से ज्यादा जोड़ा जा सके.