झारखण्ड

रेड क्रॉस सुनिश्चित करे कि मरीज या परिजन विवश होकर रक्त नहीं खरीदे : राज्यपाल

रांची। संतोष कुमार गंगवार की अध्यक्षता में राज भवन में इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी की स्‍टेट मैनेजिंग कमेटी की बैठक 30 जुलाई को हुई। इसमें राज्यपाल ने रेड क्रॉस की भूमिका को और अधिक प्रभावी एवं जन-कल्याणकारी बनाने के लिए कई अहम निर्देश दिए। उन्होंने विशेष रूप से स्वैच्छिक रक्तदान को एक सामाजिक जनांदोलन का रूप देने पर बल दिया।

राज्‍यपाल ने कहा कि रक्तदान शिविरों का नियमित आयोजन किया जाए। इनमें विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, एनएसएस, एनसीसी, स्काउट-गाइड जैसी संस्थाओं की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाए। रक्तदान एक पुनीत कार्य है। सभी को इसके लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि उन्हें भी अपने जीवन में 15-20 बार रक्तदान करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

साथ ही, उन्होंने कहा कि रक्त की बर्बादी नहीं होनी चाहिए। यदि रक्त अधिक मात्रा में एकत्रित हो जाए तो उसे समीपवर्ती जिलों में भेजा जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि रक्तदान से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के लिए व्यापक जन-जागरुकता अभियान चलाया जाए। ऐसे रक्तदाताओं को सम्मानित किया जाए, जिन्होंने 50 बार या उससे अधिक रक्तदान किया है।

राज्यपाल ने कहा कि भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी विगत एक सदी से अधिक समय से निःस्वार्थ मानव सेवा में संलग्न है। यह संस्था आपदा, विपदा और स्वास्थ्य संकट के समय लोगों की संवेदनशील, त्वरित और मानवीय सहायता के लिए जाना जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि सेवा, करुणा और परोपकार भारतीय संस्कृति के मूल मूल्य हैं। ऐसी अपेक्षा है कि रेड क्रॉस की झारखंड शाखा इन मूल्यों का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करें।

राज्यपाल ने स्पष्ट कहा कि यदि किसी की मृत्यु केवल समय पर रक्त नहीं मिलने के कारण होती है, तो यह ना केवल संबंधित अस्पताल प्रबंधन, बल्कि रेड क्रॉस से जुड़े सभी व्यक्तियों की भी असफलता व निष्क्रियता मानी जाएगी। उन्होंने इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की कि कुछ स्थानों पर रक्त की बिक्री की शिकायतें प्राप्त होती हैं।

राज्‍यपाल ने सख्त निर्देश दिए कि रेड क्रॉस सुनिश्चित करे कि कोई भी मरीज या परिजन विवश होकर रक्त नहीं खरीदे। संस्था को एक समर्पित और भरोसेमंद रक्तदाता मंच के रूप में समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करनी चाहिए।

राज्यपाल ने भारत रत्न नानाजी देशमुख द्वारा किए गए देहदान का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसे मानवीय उदाहरण रेड क्रॉस के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने सोसाइटी को सक्रियता और समर्पण के साथ सेवा कार्य करने के लिए कहा।

राज्यपाल ने रेड क्रॉस की जिला इकाइयों को अधिक सक्रिय और प्रभावशाली बनाने, ग्रामीण एवं जनजातीय क्षेत्रों तक सेवा का विस्तार करने और संस्था के सभी कार्यों में वित्तीय पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने आपदा प्रबंधन, प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य संकट से संबंधित प्रशिक्षण कार्यक्रमों को नियमित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया, ताकि रेड क्रॉस के स्वयंसेवक हर परिस्थिति में सक्षम और तत्पर रहें।

राज्‍यपाल ने संस्था को जीवंत बनाए रखने के लिए सतत सदस्यता अभियान चलाने की बात कही। उन्होंने कहा कि यदि संस्था अच्छे कार्य करेगी, तो कई संस्थाएं अनुदान व सहयोग के लिए स्वयं आगे आएंगी। बैठक में सभी जिला इकाइयों को वार्षिक प्रतिवेदन तैयार करने के निर्देश भी दिए गए।

इस अवसर पर यह भी कहा गया कि रेड क्रॉस सोसाइटी की जिला इकाइयां लावारिस शवों का अंतिम संस्कार भी कर सकती हैं, जो एक संवेदनशील सामाजिक दायित्व है।

राज्यपाल ने आशा व्यक्त की कि यदि रेड क्रॉस के सभी सदस्य मानव सेवा के प्रति संपूर्ण निष्ठा और संकल्प के साथ कार्य करें, तो यह संस्था एक जनआंदोलन का रूप ले सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्यपाल के रूप में वे रेड क्रॉस की सेवा भावना से जुड़े हर प्रयास में हरसंभव सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि “सेवा ही हमारा संकल्प हो”, यही रेड क्रॉस की पहचान बने।

उक्त अवसर पर रेड क्रॉस सोसाइटी के सदस्यों ने इस बैठक के आयोजन के लिए राज्यपाल का आभार प्रकट किया। उन्होंने बताया कि रेड क्रॉस ने अपने कार्यों से पूरे देश में विशिष्ट स्थान बनाया है। गत वर्ष जमशेदपुर को झारखंड के नाम से पुरस्कार भी प्रदान किया गया था।

बैठक में राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव-सह-सोसाइटी के उपाध्यक्ष डॉ. नितिन कुलकर्णी, राज्य परियोजना निदेशक शशि रंजन, निदेशक (खेल) शेखर जमुआर, सोसाइटी की झारखंड राज्य शाखा से जुड़े पदधारी, जिला इकाइयों के प्रतिनिधि एवं सदस्य उपस्थित थे।

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