छत्तीसगढ़

विवाह के बाद पति या पत्नी, किसी तरफ से शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना क्रूरता है: हाईकोर्ट

बिलासपुर । छत्तीसगढ़ में बिलासपुर हाईकोर्ट ने तलाक की याचिका पर सुनवाई करते हुए एक गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि पति-पत्नी के बीच सेक्स स्वस्थ वैवाहिक जीवन के लिए जरूरी है। कोर्ट ने यह टिप्पणी एक तलाक याचिका की सुनवाई के दौरान की है। साथ ही कोर्ट ने तलाक की याचिका को स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने कहा है कि विवाह के बाद पति या पत्नी, किसी तरफ से शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना क्रूरता है।

दरअसल, बिलासपुर निवासी एक युवक की शादी बेमेतरा की महिला से हुई थी। विवाह के कुछ दिनों बाद पत्नी ससुराल से मायके चली गई और वहीं पर जाकर रहने लगी। वह हमेशा ऐसा करने लगी। पति के अनुसार करीब चार सालों तक लगातार वह पर्व-त्योहार पर अपने मायके चली जाती थी। इसके बाद पति ने तलाक की डिग्री से माध्यम से 25.11.2017 को विवाह को भंग करने की मांग को लेकर फैमिली कोर्ट का रूख किया। इसमें कहा गया था कि विवाह के कुछ दिनों बाद से ही प्रतिवादी का आचरण अपीलकर्ता के साथ क्रूरता जैसा था। प्रतिवादी यह कहकर प्रताड़ित करती थी कि उसका शरीर भारी है और वह सुंदर नहीं है। महिला अपीलकर्ता की के पिता की मौत के बाद अपने माता-पिता के घर वापस चली गई।

चार साल तक नहीं लौटी
महिला चार साल तक उसके बाद मायके रही। अपीलकर्ता ने कई बार संपर्क किया और उसे वापस आने के लिए कहा। मगर वह अपने पति को बेमेतरा स्थित मायके में आकर बसने के लिए कहती थी। साथ ही पत्नी ने पति को बिना बताए नौकरी शुरू कर ली जबकि विवाह के समय से यह साफ कर दिया गया था कि प्रतिवादी कोई नौकरी नहीं करेगी।

कोर्ट की टिप्पणी
इस मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस पी. सैम कोशी और पार्थ प्रतिम साहू की बेंच ने कहा कि यह साफ है कि अगस्त 2010 से पति-पत्नी के रूप में दोनों के बीच कोई संबंध नहीं है, जो यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त है कि उनके बीच कोई शारीरिक संबंध नहीं है। पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध विवाहित जीवन के स्वस्थ रहने के लिए महत्वपूर्ण है। एक पति या पत्नी के साथ शारीरिक संबंध से इनकार करना क्रूरता के बराबर है। इसलिए, हमारा विचार है कि प्रतिवादी पत्नी ने अपीलकर्ता के साथ क्रूरता का व्यवहार किया है।

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