नईदिल्ली: एड्स एक संक्रमक बीमारी है जो कि लाइलाज बीमारी है। एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनों डिफिशिएंसी सिंड्रोम) HIV वायरस से संक्रमित व्यक्ति के रक्त के सम्पर्क में आने से होने वाली बीमारी है जो कि शरीर में वाइट ब्लड सेल्स के साथ मिलकर उस व्यक्ति के रोग प्रतिरोधक क्षमता को नष्ट कर देता है। अक्सर ही लोग इस बीमारी को लोगों से छुपाते हैं। उनके मन में भय होता है कि लोगों को इस बात की भनक लगने पर वो लोग उनके साथ उठना, बैठना, खाना सब बंद कर देंगे। केवल इतना ही नहीं, कई बार Aids से संक्रमित लोग तो डॉक्टर के पास भी जाने से कतराते हैं।
आठ लाख बच्चें एड्स से पीड़ित
संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएन एड्स की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, यह रोग असमानता की भावना के कारण तेजी से बढ़ रहा है। इस बीमारी को लेकर एक बड़ा खुलासा किया गया है, जिसे सुनकर आप हैरत में पड़ जाएंगे। दरअसल, दुनियाभर में करीब आठ लाख बच्चें एड्स से पीड़ित हैं, जिनका आज भी इलाज नसीब नहीं है। बता दें HIV से ग्रसित बच्चों की उम्र पांच से 14 साल के बीच है।
लड़कियों में बढ़ रहे मामले
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में 15 से 24 साल की लड़कियों में ज्यादातर एचआईवी के मामले बढ़े हैं। बता दें विश्वभर में एचआईवी संक्रमण के 49 फीसदी मामले महिलाओं और लड़कियों में मिले हैं। हर दो मिनट में एक किशोरी या युवा लड़की इसकी चपेट में आई है। वहीं, यूएन एड्स की रिपोर्ट के मुताबिक साल 1996 में बीमारी का प्रकोप बढ़ने के बाद इसमें गिरावट आई है और अब तक इसमें 32 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
AIDS रोग प्रतिरोधक को करता है प्रभावित
AIDS को लेकर हर किसी के मन में कई तरह के सवाल उफनते हैं। जिसे दूर करने के लिए स्वीडन की उपासला यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. राम एस उपाध्याय ने बताया कि यह रोग सीधे हमारे शरीर के रोग प्रतिरोधक को प्रभावित करता है। इससे बचने के लिए संक्रमित व्यक्ति को अक्सर अपना चेकअप करवाते रहना चाहिए। साथ ही, एंटी रेट्रोवाइटल थेरेपी और दवाइंया लेते रहना चाहिए। इससे संक्रमित व्यक्ति भी आम लोगों के तरह जीवन जी सकता है।
असुरक्षित यौन संबंध है मुख्य कारण
दरअसल, HIV पॉजिटिव होने के ज्यादातर मामले असुरक्षित यौन संबंध के चलते ही सामने आए हैं। इसके अलावा संक्रमित रक्त चढ़ाने व संक्रमित सुई का इस्तेमाल करने से भी संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। इससे बचने का कोई स्थाई इलाज नहीं है। इस बीमारी से संक्रमित व्यक्ति से दूर भागने की नहीं बल्कि उनके प्रति संवेदनशीलता अपनाने की जरूरत है। वहीं, डॉ. राम एस उपाध्याय ने बताया कि संक्रमित व्यक्ति के साथ बैठने, खाना खाने या फिर हाथ मिलाने से यह बीमारी नहीं फैलती है।