नई दिल्ली: इरेक्टाइल डिस्फंक्शन एक ऐसी खतरनाक बीमारी है जिसके बारे में लोग बात करना भी पसंद नहीं करते। दरअसल, इस बीमारी में लिंग संभोग के लिए पर्याप्त उत्तेजित नहीं हो पाता है, इसलिए इस बीमारी के बारे में लोग बोलना और सुनना दोनों पसंद नहीं करते। हालांकि, अलग-अलग शोधकर्ताओं ने अपने शोध में इस बीमारी से छुटकारा पाने का तरीका ढूढ़ निकाला है।
शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि 40 से 70 वर्ष के पुरुषों में इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या पाई जाती है। उन्होंने बताया कि वस्क्यूलर, न्यूरोलॉजिकल बीमारियों, डायबिटीज़ या प्रोस्टेट संबंधी सर्जरी की वजह से इस तरह की दिक्कत आती है। कई बार दवाइयों के साइड इफेक्ट की वजह से यह बीमारी घर कर जाती है। इस स्टडी के मुताबिक 40 से 70 वर्ष के पुरुषों में इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या पाई जाती है।
नियमित रूप से करें वॉक
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन के मुताबिक, रोजाना 30 मिनट की वॉक से इरेक्टाइल डिसफंक्शन का जोखिम 41 प्रतिशत कम हो जाता है। नियमित तौर पर एक्सरसाइज़ करने और वॉक करने से भी मोटापे के शिकार मर्दों में यह समस्या कम हो जाती है।
सही मात्रा में लें अच्छा आहार
मैसाच्युसेट्स मेल एजिंग स्टडी के अनुसार, प्राकृतिक आहार जैसे फल, सब्जियों, अनाज और मछली जैसे पौष्टिक आहार और कुछ मात्रा में रेड मीट एवं रिफाइंड ग्रेंस से इस जोखिम को कम किया जा सकता है। विटामिन बी12 और विटामिन डी की भारी कमी से भी यह समस्या पैदा हो जाती है। रोजाना मल्टीविटामिन और फोर्टिफाइड फूड से प्रौढ़ों में भी यह समस्या दूर हो जाती है।
अपनी वस्क्यूलर हेल्थ पर भी ध्यान दें
हाई ब्लड प्रेशर, हाई ब्लड शुगर, हाई कॉलेस्ट्रॉल और हाई ट्रिगलीसेराइड्स हृदय की धमनियों को नुकसान पहुंचाते हैं और इससे हार्ट अटैक और मस्तिष्काघात भी हो सकता है। इसका नतीजा इरेक्टाइल डिसफंक्शन के रूप में भी सामने आता है। एचडीएल यानी अच्छे कॉलेस्ट्रॉल की कमी और मोटापा बढ़ना भी इसके कारण हैं। अपने डॉक्टर से मिलें और जानें कि कहीं कोई वस्क्यूलर प्रणाली तो प्रभावित नहीं है ताकि आपका दिल, दिमाग ठीक रहे और सेक्स स्वास्थ्य बना रहे।
अपने आकार पर ध्यान रखें
दुबला पतला रहने का प्रयास करें। कमर की मोटाई अगर 40 इंच तक पहुंच जाए तो ऐसे पुरुषों में 32 इंच कमर वाले मर्दों के मुकाबले इरेक्टाइल डिसफंक्शन का जोखिम 50 प्रतिशत अधिक होता है। लिहाजा वजन नियंत्रण में रखें। मोटापे से वस्क्यूलर विकार और मधुमेह का जोखिम बढ़ता है और ये इरेक्टाइल डिसफंक्शन के प्रमुख कारण हैं। अतिरिक्त फैट पुरुषों के हार्मोस को प्रभावित करते हैं और यह भी समस्या की जड़ हो सकता है।
मांसपेशियों का व्यायाम करिए
मतलब डोले बढ़ाने से नहीं है। कूल्हे मजबूत रहेंगे तो लिंग में सख्ती लाने में मदद मिलती है और रक्त प्रवाह उसी ओर बना रहता है। एक ब्रिटिश परीक्षण के दौरान तीन महीने की रोजाना कमर एवं कुल्हों की एक्सरसाइज के साथ बायोफीडबैक और जीवनशैली में परिवर्तनों जैसे धूम्रपान छोड़ना, वजन कम रखना, शराब का सेवन सीमित करना आदि से बहुत अच्छे नतीजे मिलते हैं।