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भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की घोषणा आज, नीतिगत दरों में बढ़ोतरी हुई तो महंगे होंगे कर्ज

नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की द्विमासिक बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा आज होगी। संभावना जताई जा रही है कि लोन पर ब्याज दरें बढ़ जाएंगी। रेपो रेट बढ़ेगा। जानकारों की राय में आरबीआई की तरफ से नीतिगत दरों में बढ़ोतरी के बाद नई दरें कोरोना के पहले के स्तर पर पहुंच जाएंगी। कोरोना महामारी से पहले यह दर 5.15 प्रतिशत पर थी। इस हिसाब से रिजर्व बैंक के पास अभी भी 0.25 फीसदी तक बढ़ोतरी का पूरा मौका है।

यदि आरबीआई ने रेपो रेट में बढ़ोतरी की तो उपभोक्ताओं के लिए घर, कार और अन्य कर्ज और ज्यादा महंगे हो जाएंगे। हालांकि, इसके बाद जमा पर मिलने वाले ब्याज में बढ़ोत्तरी होने की भी उम्मीद रहती है। केयरएज की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहां – “कई कमोडिटी की कीमतों में नरमी के साथ, सीपीआई मुद्रास्फीति मौजूदा स्तरों पर व्यापक रूप से चरम पर जा चुका है और Q4FY23 तक 6% से कम नीचे की ओर जाने की उम्मीद है। हालाँकि, घरेलू मुद्रास्फीति अभी भी अधिक है और वैश्विक कमोडिटी की कीमतें भी, हम उम्मीद करते हैं कि आरबीआई दर वृद्धि चक्र के फ्रंट-लोडिंग के साथ जारी रहेगा। हम आगामी नीति में रेपो दर में 50 बीपीएस की वृद्धि और उसके बाद एक और 50-बीपीएस दर वृद्धि की उम्मीद करते हैं जो वित्तीय वर्ष के अंत तक टर्मिनल रेपो दर को 5.90% तक ले जाएगा।”

महंगाई और आर्थिक वृद्धि बड़ी चुनौती
रिजर्व बैंक ने मई में 0.40 फीसदी और जून में 0.50 फीसदी का इजाफा रेपो दर में कर चुका है। बैठक में देश में बढ़ती महंगाई दर को लेकर चर्चा किए जाने की संभावना है। साथ ही विकास को गति देने पर भी विचार किया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि दरें बढ़ने से महंगाई पर अंकुश तो लगता है,लेकिन विकास दर घटने का भी खतरा रहता है।

जमा पर फायदा देने में निजी बैंक आगे
एसबीआई दो करोड़ से कम के जमा पर सबसे ज्यादा पांच से 10 वर्ष की अवधि में वरिष्ठ नागरिकों को 6.3 फीसदी ब्याज दे रहा है और अन्य को 5.5 फीसदी ब्याज दिया जा रहा है। डीसीबी बैंक 6.60 प्रतिशत, आरबीएल बैंक 6.55 प्रतिशत, इंडसइंड बैंक 6.50 प्रतिशत और कुछ छोटे बैंक आठ फीसदी तक ब्याज दे रहे हैं।

रिजर्व बैंक के रेपो रेट बढ़ाने के बाद एक तरफ जहां कर्ज महंगा हो रहा है वहीं एफडी पर मिलने वाले ब्याज में कमी से भी राहत मिलने लगी है। अब कई बैंकों की तरफ से अलग-अलग समय अवधि के लिए एफडी पर ब्याज बढ़नी शुरू हो गई हैं। मौजूदा दौर में सरकारी बैंकों के मुकाबले निजी क्षेत्र के चुनिंदा बैंकों में सबसे ज्यादा ब्याज मिल रहा है।

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