‘न्यायाधीशों के एक-तिहाई पद महिलाओं के लिए करें आरक्षित’, SCBA के पूर्व अध्यक्ष ने CJI चंद्रचूड़ को लिखा पत्र
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह (Vikas Singh) ने भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ (CJI Justice DY Chandrachud) को पत्र लिखकर उच्च न्यायापालिका में न्यायाधीशों के एक-तिहाई पद महिलाओं के लिए आरक्षित करने पर जोर दिया है।
हाई कोर्ट में 103 महिला न्यायाधीश
तीन बार एससीबीए के अध्यक्ष रहे सिंह ने लिखा है कि पटना, उत्तराखंड, त्रिपुरा, मेघालय और मणिपुर के उच्च न्यायालयों में एक भी महिला न्यायाधीश नहीं है, जबकि शेष 20 उच्च न्यायालयों में 670 पुरुष न्यायाधीशों की तुलना में 103 महिला न्यायाधीश हैं। देश में कुल 25 उच्च न्यायालय हैं।
महिलाओं के लिए हो 33% आरक्षण
सिंह ने महिलाओं के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक-तिहाई सीट आरक्षित करने के लिए संसद में हाल ही में पारित हुए 128वें संविधान संशोधन विधेयक का जिक्र किया। उन्होंने सीजेआई से उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए एक विश्वसनीय प्रणाली लाने का आग्रह किया, जिसमें एक-तिहाई रिक्तियां महिलाओं से भरी जाएं। सिंह ने कहा, “संसद से ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ के ऐतिहासिक सर्वसम्मति से पारित होने के साथ यह वास्तव में न्यायपालिका के लिए भी इस मोर्चे पर आगे आने का अवसर है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत अंततः महिला नेतृत्व वाले विकास के युग की तरफ बढ़ रहा है।”
महिलाओं को आरक्षण प्रदान करने का उपयुक्त समय
इस पत्र की प्रति उच्चतम न्यायालय के चार शीर्ष न्यायाधीशों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को भी भेजी गई है। पत्र में कहा गया है कि संसद ने जहां संविधान में संशोधन करके विधायिका में असंतुलन को दूर करने की पहल की है, वहीं अपनी नियुक्ति प्रणाली निर्धारित करने वाली न्यायपालिका के लिए भी यह महिलाओं को आरक्षण प्रदान करने का उपयुक्त समय है। सिंह ने पत्र में कहा है, “महोदय, आप इस बात की सराहना करेंगे कि उच्च न्यायपालिका एक समान स्थान वाला मंच है, जहां महिलाओं की महत्वपूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए समान सुधार लाए जाने चाहिए।”
सिर्फ 11 महिलाएं बनीं सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश
उन्होंने कहा कि आंकड़े उच्च न्यायपालिका में महिलाओं के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व की तस्वीर पेश करते हैं। सिंह ने कहा, “भारत की स्वतंत्रता के 76 वर्षों से अधिक समय हो जाने के बावजूद, यह निराशाजनक है कि इस प्रतिष्ठित संस्थान में नियुक्त 270 न्यायाधीशों में से केवल 11 महिलाएं उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने में सफल रही हैं, जो अब तक हुई कुल नियुक्तियों का बमुश्किल चार प्रतिशत है।”