नवंबर से बाजार में हो रही है बिकवाली, रिटेल इन्वेस्टर्स बाजार छोड़ के जा रहे
मुंबई : अमेरिका (US Market) और यूरोप जैसे बाजारों (Europe Market) की तुलना में भारतीय शेयर बाजार (Indian Share Market) में रिटेल इन्वेस्टर्स (Retail Investors) की भागीदारी पारंपरिक रूप से कम रही है. कोरोना महामारी के बाद से इस स्थिति में बदलाव आता दिख रहा था, जब रिकॉर्ड संख्या में डीमैट अकाउंट (Demat Account) खुल रहे थे. हालांकि जैसे ही बाजार पिछले साल नवंबर से बिकवाली की चपेट में आया, रिटेल इन्वेस्टर्स बाजार से बाहर निकलने लगे. इस कारण घरेलू शेयर बाजार में रिटेल इन्वेस्टर्स की भागीदारी कम होकर मई 2022 में पांच साल के निचले स्तर पर आ गई.
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर उपलब्ध 31 मई तक के आंकड़ों के अनुसार, घरेलू शेयर बाजार में रिटेल इन्वेस्टर्स की भागीदारी कम होकर 34.7 फीसदी रह गई है. यह कम से कम पिछले पांच साल का सबसे निचला स्तर है. जून महीने का आंकड़ा सामने आने पर इसमें और गिरावट के अनुमान जाहिर किए जा रहे हैं. जून महीने में घरेलू बाजार काफी वोलेटाइल रहा था और इन्वेस्टर्स की भागीदारी कम रही थी. इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि जून महीने के दौरान औसत डेली टर्नओवर में कम से कम 20 फीसदी की गिरावट आई.
एनएसई के आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में अभी तक कैपिटल मार्केट (Capital Market) में रिटेल इन्वेस्टर्स का हिस्सा कम होकर 37 फीसदी पर आ गया है. यह 2016-17 के बाद से सबसे कम है. उस समय यह हिस्सा 36 फीसदी था. पिछले कुछ महीने के दौरान रिटेल इन्वेस्टर्स की भागीदारी में लगातार गिरावट आई है. इसका मुख्य कारण बाजार की हालिया गिरावट है. इसके अलावा इंट्रा-डे ट्रेडिंग (Intra-Day Trading) के नियमों को सख्त किए जाने से भी भागीदारी पर असर हुआ है. दूसरी ओर वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) समाप्त होने के बाद ऑफिसेज खुलने से भी लोगों को अब बाजार में बिताने के लिए कम समय मिल पा रहा है.
इससे पहले कोरोना महामारी के बाद रिटेल इन्वेस्टर्स की संख्या तेजी से बढ़ी थी. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2020 से मई 2022 के दौरान डीमेट अकाउंट रिकॉर्ड तेजी से खुले. सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (CDSL) के पास रिटेल इन्वेस्टर्स के डीमैट अकाउंट की संख्या इस दौरान 3.4 गुना हो गई, जबकि नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के पास इनकी संख्या 1.5 गुना हो गई. लॉकडाउन, बाजार में रैली और मोबाइल बेस्ड ट्रेडिंग ऐप की बाढ़ के चलते रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए बाजार की पहुंच आसान होने से ऐसा हो रहा था. इस कारण 2020-21 में मार्केट में रिटेल इन्वेस्टर्स की हिस्सेदारी बढ़कर 45 फीसदी के पार निकल गई थी.