हरि-हर मिलन के लिए आज रात 11 बजे महाकाल मंदिर से निकलेगी सवारी
उज्जैन : ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से रविवार रात 11 बजे हरि-हर मिलन के लिए भगवान महाकाल की सवारी निकली। हर भगवान महाकाल हरि को सृष्टि का भार सौंपने के लिए चांदी की पालकी में सवार होकर गोपाल मंदिर जाएंगे। मध्य रात्रि 12 बजे गोपाल मंदिर में हरि हर-मिलन होगा। भगवान महाकाल की ओर से गोपालजी को बिल्व पत्र की माला पहनाई जाएगी, वहीं गोपालजी की ओर से पुजारी भगवान महाकाल को तुलसी की माला पहनाएंगे। दो देवों की भेंट का अद्भुत दृश्य देखने के लिए हजारों भक्त उमड़ेंगे।
धार्मिक मान्यता के अनुसार देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु सृष्टि के संचालन का भार भगवान शिव के हाथों में सौंपकर राजा बलि का आतिथ्य स्वीकारते हुए पाताल लोक चले जाते हैं। चातुर्मास के चार माह भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं। देव प्रबोधिनी एकादशी पर देव शक्ति जागृत होती तथा चातुर्मास का समापन हो जाता है और भगवान विष्णु अपने लोक लौट आते हैं। इसके बाद वैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान शिव पुनः सृष्टि का भार भगवान विष्णु को सौंपने जाते हैं। धर्मकथा का यह प्रसंग प्रतिवर्ष धर्मधानी के गोपाल मंदिर में जीवंत होता है।
रविवार रात 11 बजे महाकाल मंदिर से भगवान महाकाल की सवारी शुरू होगी, जो कोट मोहल्ला, गुदरी चौराहा, पटनी बाजार होते हुए गोपाल मंदिर पहुंचेगी। रात 12 बजे से हरि हर मिलन की पूजा शुरू होगी। महाकाल मंदिर के पुजारी गोपाल जी को बिल्व पत्र की माला, वस्त्र, मिष्ठान, सूखे मेवे आदि भेंट करेंगे। गोपाल मंदिर के पुजारियों द्वारा भगवान महाकाल माता पार्वती आदि के लिए वस्त्र, मिठाई, सूखे मेवे आदि भेंट स्वरूप प्रदान किए जाएंगे। पूजन के पश्चात रात 2.30 बजे भगवान महाकाल की सवारी पुनः महाकाल मंदिर के लिए रवाना होगी।
गोपाल मंदिर में होने वाले हरि हर मिलन के बाद सोमवार तड़के चार बजे महाकाल मंदिर में भस्म आरती के दौरान भी हरि-हर मिलन होगा। पुजारी मंदिर परिसर स्थित साक्षी गोपाल मंदिर से झांझ-डमरू की मंगल ध्वनि के साथ गोपालजी को मंदिर के गर्भगृह में लेकर आएंगे यहां भगवान महाकाल के सम्मुख गोपालजी को विराजित कर हरि हर मिलन कराया जाएगा।