ब्रिटेन से 3 लाख ‘माइग्रेंट्स’ कम करेंगे ऋषि सुनक, जानें भारत पर क्या पड़ेगा असर ?
देहरादून (गौरव ममगाईं)। वैसे तो ब्रिटेन में माइग्रेंट्स का मुद्दा हमेशा से चर्चाओं में रहा है। अब ब्रिटेन सरकार ने माइग्रेंट्स वर्करों के लिए वीजा के नियम बेहद सख्त कर दिये हैं। डिपेन्डेंट वीजा पर रोक इसी का हिस्सा है। इससे अब अन्य देशों के वर्कर अब परिवार के सदस्यों को आश्रित के रूप में ब्रिटेन ला भी नहीं सकेंगे। माना जा रहा है कि ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक ने यह बड़ा फैसला चुनावी दबाव में लिया है। यह भी चर्चाएं हैं कि अगर ऋषि सुनक ब्रिटेन में माइग्रेंट्स को रोकने को कड़ा कदम नहीं उठाते तो उनकी सरकार गिर भी सकती थी। वहीं, ब्रिटेन के इस कदम से वहां पढ़ाई करने के बाद बसने की योजना बना रहे युवाओं को बड़ा झटका लगा है। बड़ी बात यह है कि इनमें सबसे ज्यादा भारतीयों पर असर पड़ेगा, क्योंकि ब्रिटेन में बसने वाले माइग्रेंट्स में सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की है।
क्या उठाये गये कदम ?
नये नियमों के अनुसार, ब्रिटेन सरकार ने अन्य देशों से आने वाले कर्मियों के लिए वर्किंग वीजा के लिए न्यूनतम वेतन सीमा को बढ़ा दिया है। नई न्यूनतम वेतन सीमा 38700 ग्रेट ब्रिटेन पॉन्ड कर दी है, जो पहले 26,200 पॉन्ड था। यानी इससे कम वेतन वाले कर्मी वीजा के लिए आवेदन नहीं कर पायेंगे। वहीं, अन्य देशों के कर्मियों के परिवार लाने पर भी रोक लगाई है। ब्रिटेन सरकार का कहना है कि उनका लक्ष्य है कि ब्रिटेन से 3 लाख माइग्रेंट्स को कम किया जा सके।
क्या है डिपेन्डेंट वीजा ?
दरअसल, ब्रिटेन में पढ़ाई के लिए जाने पर स्टूडेंट वीजा लेना अनिवार्य है। इस वीजा के आधार पर छात्र ब्रिटेन में रहकर अपनी पढ़ाई कर सकते हैं। इसके बाद छात्र पढ़ाई पूरी होने के बाद ब्रिटेन में ही जॉब करने लगते हैं और डिपेन्डेंट वीजा ले लेते हैं। इस डिपेन्डेंट वीजा के जरिये कर्मी अपने परिवार के सदस्यों को आश्रितों के रूप में ब्रिटेन में बुला लेते हैं और फिर वहीं बस जाते हैं। इससे ब्रिटेन की जनसंख्या में प्रवासियों की भागीदारी तेजी से बढ़ रही है। ब्रिटेन की जनता लंबे समय से प्रवासियों की बढ़ती संख्या को लेकर चिंता जताती रही है और सरकार से कड़े कदम उठाने की मांग भी करती रही है।
बता दें कि ब्रिटेन में इसी साल के अंत में दिसंबर महीने में आम चुनाव होने हैं। संभावना थी कि चुनाव में प्रवासियों का मुद्दा प्रमुखता से छा सकता है। यही कारण है कि चुनाव से पहले ऋषि सुनक को यह बड़ा फैसला लेना पड़ा।