नई दिल्ली : आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने एक दिन पहले कहा था कि समाज में भेदभाव मौजूद रहने तक आरक्षण जारी रहना चाहिए। इस बयान के अगले दिन गुरुवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें केंद्र से ‘जाति जनगणना’ पर सहमत होने के लिए कहना चाहिए।
राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा, “जब मोहन भागवत आरक्षण की बात करते हैं तो मुझे लगा कि आज सूरज किस दिशा से उग आया है, क्योंकि ये अलग-अलग विचारधारा वाले लोग हैं। मुझे ख़ुशी हुई कि कम से कम उन्होंने भारत के संविधान के अनुसार सोचना शुरू कर दिया।”
उन्होंने आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा, ”भागवत जी आप अपने संगठन को सांस्कृतिक संगठन कहते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है, यह पूरी तरह से एक राजनीतिक संगठन है और सरकार चलाता है। सरकार एक मुखौटा है।”
मनोज झा ने पूछा कि अगर आपको सोचना है तो आपको सरकार को बताना होगा कि वह जाति जनगणना पर चुप क्यों है? उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या मोहन भागवत को सीवर साफ करने वाले लोगों की स्थिति का पता नहीं है?
राजद नेता ने आगे कहा कि ऐसा क्यों है कि इतने वर्षों के बाद भी उनकी स्थिति नहीं बदली है? सिर्फ बात करने से नहीं होगा। आपको सोचने और सरकार से कहने की जरूरत है कि उसे जाति जनगणना के लिए ‘हां’ कहना चाहिए और अत्याचार की राजनीति को खत्म करने का प्रयास करना चाहिए। अन्यथा, हम सोचेंगे कि आपका बयान हेडलाइन मैनेजमेंट के लिए राजनीतिक दबाव के तहत है।
राजद नेता की टिप्पणी मोहन भागवत के बुधवार को महाराष्ट्र के नागपुर में दिए गए बयान के बाद आया, जिसमें मोहन भागवत ने कहा था कि समाज में भेदभाव मौजूद रहने तक आरक्षण जारी रहना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि आरएसएस संगठन “संविधान में दिए गए आरक्षण का पूरी तरह से समर्थन करता है।”