नासिक: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि एक नेता अकेला देश की समस्याओं से नहीं निपट सकता है। उन्होंने कहा कि अकेला नेता इस देश के सामने सभी चुनौतियों का सामना नहीं कर सकता और न ही एक अकेला संगठन या पार्टी बदलाव ला सकती है। RSS प्रमुख ने कहा कि यही आइडिया संघ की विचारधारा में निहित है। उन्होंने कहा कि देश को आजादी तभी मिली थी जब आम लोग सड़क पर उतरे। इस दौरान संघ प्रमुख ने कहा कि लोगों को खुद से जिम्मेदारियां लेनी चाहिए और देश की दशा सुधारने का ”ठेका” संघ या किसी और को नहीं देना चाहिए।
मोहन भागवत नागपुर में मराठी साहित्य की संस्था विदर्भ साहित्य संघ के शताब्दी कार्यक्रम में बोल रहे थे। आरएसएस प्रमुख ने कहा, “संघ की विचारधारा में निहित है कि एक अकेला नेता इस देश के सामने सभी चुनौतियों का सामना नहीं कर सकता। वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं कर सकता। नेता कितना भी बड़ा क्यों न हो।” उन्होंने कहा, “एक संगठन, एक पार्टी, एक नेता बदलाव नहीं ला सकते। वे इसे लाने में मदद करते हैं। बदलाव तब होता है जब आम आदमी इसके लिए खड़ा होता है।” भागवत ने कहा ने कहा कि भारत का स्वतंत्रता संग्राम 1857 में बहुत पहले शुरू हुआ था, लेकिन यह तभी सफल हुआ जब व्यापक जागरूकता फैला और “आम आदमी सड़क पर उतरे।
उन्होंने कहा कि क्रांतिकारियों ने भी स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया और सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी की, लेकिन मुख्य बात यह थी कि लोगों ने साहस हासिल किया। आरएसएस प्रमुख ने कहा, “हर कोई जेल नहीं गया, कुछ लोग दूर रहे, लेकिन एक व्यापक भावना थी कि देश को स्वतंत्र होना चाहिए।” उन्होंने कहा कि आरएसएस चाहता है कि हिंदू समाज अपनी जिम्मेदारी निभाने में सक्षम हो जाए। संघ प्रमुख ने कहा, “सब कुछ समाज में बदलाव के माध्यम से होता है और आरएसएस समाज को संगठित कर रहा है।” उन्होंने कहा कि लोगों को देश की दशा सुधारने का ”ठेका” दूसरों को नहीं देना चाहिए बल्कि खुद जिम्मेदारी उठानी चाहिए। भागवत ने कहा, “यह ठेका संघ को भी मत दो। अपना काम खुद करो। लोगों को यह सीखना होगा।”