RSS सांप्रदायिक संगठन नहीं, सरकारी कर्मचारी भी इससे जुड़ सकते हैं: मप्र हाई कोर्ट
इंदौर : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (High Court) ने कहा कि केंद्र सरकार को यह महसूस करने में लगभग पांच दशक लग गए कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध संगठन को गलत तरीके से सरकारी कर्मचारियों के लिए प्रतिबंधित संगठनों की सूची में रखा गया था। जस्टिस सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और गजेंद्र सिंह की पीठ ने गुरुवार को एक रिट याचिका का निपटारा करते हुए यह टिप्पणी की। केंद्रीय कर्मचारी रहे पुरुषोत्तम गुप्ता ने यह याचिका दायर की थी।
याचिका में उल्लेख किया था कि रिटायर होने के बाद बचा हुआ जीवन संघ को समर्पित करना चाहते हैं, लेकिन केंद्र सरकार की रोक की वजह से ऐसा नहीं कर पा रहे हैं। दरअसल, 30 नवंबर 1966 को तत्कालीन केंद्र सरकार ने सर्कुलर निकालकर केंद्रीय व कर्मचारियों के संघ सहित अन्य व विचारधारा वाले संगठनों में शामिल होने पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट व ने कहा- यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संघ को सांप्रदायिक संगठन मानकर उसकी गतिविधियों, शाखाओं में शरीक होने पर रोक लगा दी गई।
हाई कोर्ट ने फैसले में कहा कि केंद्रीय गृह विभाग ने पिछले व दिनों सर्कुलर में संशोधन कर दिया था। इसके बावजूद हम विस्तृत आदेश जारी कर रहे हैं। केंद्र ने जो संशोधन किया है, उसे कार्मिक विभाग और केंद्रीय गृह मंत्रालय की ऑफिशियल वेबसाइट पर डाला जाए। यही नहीं देशभर में जनसंपर्क विभाग के माध्यम से इसे प्रचारित भी किया जाए।