मप्र में रोज 75 हजार सैंपल की आरटी-पीसीआर जांच की जाएगी
भोपाल: कोरोना की तीसरी लहर में संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। संक्रमण नियंत्रित करने की खातिर स्वास्थ्य विभाग अब रैपिड एंटीजन टेस्ट के बजाय आरटी-पीसीआर जांच पर ही फोकस कर रहा है। इसकी वजह यह है कि रैपिड जांच की सटीकता कम है। लिहाजा सरकार ने रैपिड एंटीजन टेस्ट पर रोक लगा दी है। अब प्रदेश सरकार आरटी-पीसीआर टेस्ट पर फोकस कर रही है। फीवर क्लीनिक के अलावा मोबाइल टेस्टिंग वैन से आरटी-पीसीआर की जांच होगी। संभवत: हफ्ते भर के भीतर यह सुविधा शुरू हो जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग ने टेंडर के जरिए आउटसोर्स लैब का चयन किया है। इसमें 150 रुपये प्रति सैंपल के हिसाब से स्वास्थ्य विभाग की ओर से आउटसोर्स कंपनी को भुगतान किया जाएगा। ये मोबाइल आरटी-पीसीआर टेस्ट लैब जबलपुर, छतरपुर और शहडोल जैसे जिलों में तैनात की जाएंगी। स्वास्थ्य आयुक्त सुदाम खाडे ने सभी जिलों के कलेक्टर, सीएमएचओ और सिविल सर्जन को पत्र लिखकर आरटी-पीसीआर सैंपल का डेली टारगेट और मैप की गई लैब की सूची भेजी है। मालूम हो कि कोरोना संकट के शुरूआती दौर में प्रदेश में जांच की व्यवस्था न होने पर आउटसोर्स कंपनी से 1980 रुपये प्रति सैंपल के हिसाब से जांच करानी पड़ रही थी।
रोज होगी 75 हजार सैंपलों की जांच
आदेश के मुताबिक प्रदेश में रोज 75 हजार सैंपल की आरटी-पीसीआर जांच की जाएगी। इसके लिए जिलों को रोज के टारगेट के साथ ही सरकारी मेडिकल कालेज की लैब और आउटसोर्स लैब को मैप किया गया है। तीन आउटसोर्स लैब को जांच का काम सौंपा गया है। मेडिकल कालेज की लैब से मैप जिलों के अलावा करीब डेढ़ दर्जन जिलों के सैंपल डायरेक्ट आउटसोर्स लैब में जांचने के लिए भेजे जाएंगे।