राष्ट्रीय

RTI से खुलासा, खाली पड़े हैं SC-ST-OBC के 58% शिक्षक पद

govt-jobs-in-csio-56bbfd0d873de_exlstएजेन्सी/देश के 39 केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षक पद के लिए 58 फीसदी एससी-एसटी, ओबीसी के आरक्षित पद खाली हैं। इन वर्गों के लिए स्वीकृत 4763 पद में से सिर्फ 1977 पदों पर असि. प्रोफेसर, एसो. प्रोफेसर, प्रोफेसर की नियुक्तियां हुई हैं।

इसके अलावा असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए बीएचयू और एचएनबी गढ़वाल ने स्वीकृत पदों से ज्यादा नियुक्तियां सामान्य वर्ग में कर ली थी। आंकड़े एक साल पुराने हैं लेकिन वर्तमान में भी इनकी प्रासंगिकता है क्योंकि हाल ही में हैदराबाद विवि के छात्र राहित वेमुला के सुसाइड के बाद आरक्षण का मुद्दा गर्माया हुआ है।

आरटीआई कार्यकर्ता महेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने 2015 में आरटीआई के माध्यम से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से केन्द्रीय विवि में एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग के शिक्षकों का ब्यौरा मांगा था।

 

 आरटीआई(2015) के मुताबिक केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में कुल 6107 असि. प्रोफे., एसो. प्रोफे., प्रोफेसर के पद खाली हैं। इनमें 1135 एससी, 610 एसटी और 1041 ओबीसी कोटे की आरक्षित पद शामिल हैं। जबकि शिक्षकों के कुल स्वीकृत पद 16339 हैं।

इसके अलावा गौर करने की बात हैं कि प्रोफेसर पद के लिए एससी कोटे के लिए स्वीकृत 276 पदों में सिर्फ 38 पद और एसटी कोटे के लिए स्वीकृत 124 में से सिर्फ 11 पद पर नियुक्तियां हुई थीं। जबकि शारिरिक विकलांग कोटे से 232 पद खाली हैं। इस संबंध में यूजीसी ने कई बार विवि प्रशासन को नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें यूजीसी ने कहा है कि आरक्षित पदों को भरने की पूरी जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की है। 

– एचएनबी गढ़वाल विवि- सामान्य वर्ग में कर दी ज्यादा नियुक्तियां –
उत्तराखंड स्थित एचएनबी गढ़वाल विवि के लिए असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए 341 पद स्वीकृत थे, जिनमें सामान्य वर्ग के 162 पद थे। यहां विवि प्रशासन ने स्वीकृति से ज्यादा 45 असि. प्रोफेसरों की नियुक्तियां कर लीं। जबकि एससी के 36, एसटी के 21, व ओबीसी के 7 आरक्षित पद खाली थे।– हरिसिंह गौर विवि- भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच जारी –
डॉ. हरिसिंह गौर केंद्रीय विवि (मप्र) में असिस्टेंट प्रोफेसर के करीब 60 पद अतिरिक्त भरे गए थे। आरटीआई के मुताबिक विवि में असि. प्रोफेसर के लिए सामान्य वर्ग में 39 और एससी कोटे में 15 पद स्वीकृत पदों से ज्यादा भर लिए गए, जिसकी सीबीआई जांच चल रही है।

-एससी-एसटी के एसो. प्रोफे. और प्रोफेसर नहीं –
एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर पद के लिए एससी-एसटी के लिए आरक्षण होने के� बावजूद कई केन्द्रीय विवि में इस वर्ग का एक भी शिक्षक नहीं हैं। इनमें जम्मू, झारखंड, बिहार, हरियाणा, केरला, उड़ीसा, पंजाब, तमिलनाडु की केन्द्रीय विवि शामिल हैं।

1041 असिस्टेंट प्रोफेसर के पद ओबीसी कोटे के खाली
इसके अलावा एचएनबी गढ़वाल विवि, इलाहाबाद विवि, केन्द्रीय विवि हिमाचल, केन्द्रीय विवि कर्नाटक, केन्द्रीय विवि मिजोरम-त्रिपुरा में एससी-एसटी का एक भी प्रोफेसर नियुक्त नहीं किया गया।

 

 शिक्षकों (सभी वर्ग) के सबसे ज्यादा 1667 पद उत्तर प्रदेश के चार केंद्रीय विवि में खाली हैं। दिल्ली प्रदेश के तीन विवि में 1405, उत्तराखंड के एक विवि में 165, जम्मू व कश्मीर के दो विवि में 172, हरियाणा के एक विवि में 145, हिमाचल के एक विवि में 121, पंजाब के एक विवि में 111 असि. प्रोफे., असो. प्रोफे., प्रोफेसर के पद खाली थे।

वर्जन –
जेएनयू में आरक्षित पदों में नियुक्तियों के लिए 8-9 सदस्यों की कमेटी गठित होती है। इसमें तीन सदस्य विवि के बाहर से आते हैं। यही कमेटी उम्मीदवारों की काबिलियत और नियम के हिसाब से नियुक्तियों के बारे में फैसला लेती है। अखबारों में इसके लिए विज्ञापन भी निकालते हैं। आरक्षण में भेदभाव का आरोप गलत है।- प्रो. भूपेन्द्र जुत्सी, रजिस्ट्रार, जेएनयू

प्रमुख केन्द्रीय विवि में एससी-एसटी, ओबीसी कोटे के खाली पद –
विवि – एससी – एसटी – ओबीसी
जेएनयू – 75 – 42 – 26
डीयू – 193 – 103 – 177
इलाहाबाद विवि – 98 – 52 – 118
हैदराबाद विवि – 41 – 28 -15

Related Articles

Back to top button