RTI खारिज करने में पीएमओ अव्वल
वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार आरटीआई की धारा 8 (1) का हवाला देकर सबसे ज्यादा 53 फीसदी आरटीआई अस्वीकृत की गई। हालांकि ये पिछले साल से करीब ढाई प्रतिशत कम है। इस धारा के तहत कहा गया है कि ऐसी सूचना को सार्वजनिक नहीं किया गया जिससे देश की अखंडता और संप्रभुता प्रभावित होती हो।
कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिसिएटिव के आरटीआई प्रोग्राम कोआर्डिनेटर वेंकटेश नायक ने बताया कि आमतौर पर देखा गया है कि बिना तर्कपूर्ण आधार के धारा 8 (1) के तहत कई आरटीआई खारिज की जा रही है। पीएमओ को यह बताना चाहिए आखिर सूचना सार्वजनिक होने पर यह देश की सुरक्षा को कैसे प्रभावित करेगी
2014-15 में सबसे ज्यादा आरटीआई खारिज की गई। रिपोर्ट के अनुसार 2014-15 में 8.39 प्रतिशत, 2013-14 में 7.21 प्रतिशत, 2012-13 में 7.70 प्रतिशत, 2011-12 में 8.30 प्रतिशत और 2010-2011 में 5.10 प्रतिशत आरटीआई आवेदन अस्वीकृत किए गए।
लोक प्राधिकारियों द्वारा प्रार्थना पत्र शुल्क, अतिरिक्त शुल्क और दंड धनराशि के रूप में 2014-15 में 1 करोड़ 5 लाख 7 हजार 823 रुपये वसूले गए। जबकि रिपोर्ट के अनुसार पिछले सालों में 2013-14 में 1 करोड़ 14 लाख 6379 रुपए, 2012-13 में एक करोड़ 20 लाख 30 हजार, 2011-12 में एक करोड़ 59 हजार रुपए वसूले गए।