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कनाडा में विदेशी सरकारों के हस्तक्षेप पर बवाल, सांसद बोलीं जानबूझकर नहीं किया देश के साथ विश्वासघात

नई दिल्ली: कनाडा में सांसदों की राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया समिति (एन.एस.आई.सी.ओ.पी.) की उस रिपोर्ट पर बवाल मचा हुआ है, जिसमें आरोप लगाए गए हैं कि कुछ सांसदों ने कनाडा की राजनीति में विदेशी सरकारों को सक्रिय रूप से हस्तक्षेप करने में मदद की है। इस रिपोर्ट को लेकर ग्रीन पार्टी की नेता व सांसद “एलिजाबेथ मे” ने कहा कि उन्होंने विदेशी हस्तक्षेप पर अत्यधिक प्रचारित खुफिया निगरानी संस्था की रिपोर्ट का मूल संस्करण पढ़ा है और उन्हें नहीं लगता कि उनके हाउस ऑफ कॉमन्स के किसी भी सहकर्मी ने जानबूझकर अपने देश के साथ विश्वासघात किया है।

रिपोर्ट में क्या लगाए गए हैं आरोप
पिछले हफ़्ते जारी की गई एन.एस.आई.सी.ओ.पी. रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ सांसद कनाडा की राजनीति में हस्तक्षेप करने के विदेशी राज्यों के प्रयासों में जानबूझकर भागीदार हैं। एलिजाबेथ कहा कि मुझे इस बात से बहुत राहत मिली है कि ऐसे सांसदों की कोई सूची नहीं है जिन्होंने कनाडा के प्रति बेवफाई दिखाई है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कुछ सांसदों ने विदेशी राज्यों के साथ मिलीभगत की है, क्या उन पर आरोप लगाया जा सकता है? एलिजाबेथ ने कहा कि वह वर्गीकृत खुफिया जानकारी देख सकती हैं और उन्हें बीते सोमवार रात एन.एस.आई.सी.ओ.पी.के अप्रकाशित संस्करण तक पहुंच प्रदान की गई। उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद से इस पर प्रतिक्रियाओं ने मीडिया ने भड़का दिया है।

भारत का भी है आरोपों में जिक्र
ग्रीन पार्टी की नेता ने कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि मैंने पूरी रिपोर्ट पढ़ी। मैं अपने सहकर्मियों के साथ बैठकर बहुत सहज महसूस करती हूं। एन.एस.आई.सी.ओ.पी. की संपादित रिपोर्ट में कुछ सांसदों द्वारा विशेष रूप से चिंताजनक व्यवहार का वर्णन किया गया है। इसमें कहा गया है कि कुछ निर्वाचित अधिकारियों ने अपने चुनाव के तुरंत बाद जानबूझकर विदेशी राज्य अभिनेताओं की सहायता करना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट में कहा गया है कि संसद के अनाम सदस्यों ने भारत की ओर से अपने सहकर्मियों को प्रभावित करने का काम किया और सक्रिय रूप से भारतीय अधिकारियों को गोपनीय जानकारी प्रदान की।

केस स्टडी में ऐसे लोग शामिल थे जो वर्तमान में संसद में सेवारत नहीं हैं। मीडिया को दिए बयान में एलिजाबेथ ने बताया कि एन.एस.आई.सी.ओ.पी. की रिपोर्ट के मुताबिक भारत द्वारा राजनीतिक हस्तक्षेप में उन्हें वर्गीकृत जानकारी का खुलासा करने से बचने के लिए सावधानी से कदम उठाना पड़ा, उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में मुट्ठी भर से भी कम सांसदों के नाम सूचीबद्ध हैं, जिनके साथ विदेशी सरकारों ने समझौता किया हो सकता है।

पूर्व सांसद पर मिलीभगत के आरोप
मे ने कहा कि एन.एस.आई.सी.ओ.पी. की रिपोर्ट में सबसे परेशान करने वाला मामला एक पूर्व सांसद का था, जिसने एक विदेशी खुफिया अधिकारी के साथ संबंध बनाए रखा था। कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा के अनुसार, सांसद ने एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी के साथ एक विदेशी राज्य में एक बैठक की व्यवस्था करने की कोशिश की और खुफिया अधिकारी को गोपनीय रूप से दी गई जानकारी भी सक्रिय रूप से प्रदान की। उन्होंने कहा कि उस व्यक्ति जिसका नाम अप्रकाशित रिपोर्ट में नहीं था, उसकी पुलिस द्वारा पूरी तरह से जांच की जानी चाहिए।

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