रुस ने बेलारुस में तैनात की मिसाइलें, नाटों देशों में मची खलबली चरम पर पहुंचे तनाव
नई दिल्ली : स्वीडन और फिनलैंड को नाटो में शामिल होने की जानकारी के बाद से रूसी काफी अक्रामक हो गया है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बेलारूस में रूसी मिसाइलों की तैनाती कर दी है। इससे नाटो देशों के बीच खलबली मच गई है। रूस के इस कदम से नाटो सदस्य देशों और रूस के बीच अब तनाव चरम पर पहुंच गए हैं। सवाल उठ रहा है कि स्वीडन और फिनलैंड को नाटो में शामिल करने के लिए आखिर तुर्की मान कैसे गया। यह पश्चिमी देशों और अमेरिका की कूटनीतिक जीत बताई जा रही है।
बेलारूस में रूसी मिसाइलों की तैनाती से नाटो में खलबली मच गई है। विदेश मामलों के जानकार की माने तो यूक्रेन युद्ध के बीच रूस की घेरेबंदी की कोशिश कर रहे नाटो देशों को यह बड़ी सफलता हाथ लगी है। रूस के इन दोनों पड़ोसी देशों के नाटो में शामिल होने का रास्ता साफ होने से स्वीडन,फिनलैंड और तुर्की तीनों ही एक दूसरे की रक्षा के लिए राजी हो गए हैं। तुर्की की ओर से पिछले कई हफ्ते से चला आ रहा कूटनीतिक ड्रामा अब खत्म हो गया। इस नए हालात से यूरोप में अब रूस की टेंशन बढ़ेगी।
यही कारण है कि रूस ने बेलारूस में मिसाइलों को तैनात किया है। यह फैसला उस समय लिया जब स्पेन के मैड्रिड शहर में नाटो के 30 सदस्य देश एकजुटता का प्रदर्शन कर रहे थे। इसके साथ रूस ने अपने मित्र राष्ट्रों को एकजुट करना शुरू कर दिया। इसके चलते अब यूरोप में तनावपूर्ण स्थिति बन गई है। बेलारूस में रूसी मिसाइल की तैनाती ने इसमें आग में घी का काम किया। देखना दिलचस्प होगा कि रूस स्वीडन और फिनलैंड के खिलाफ क्या कार्रवाई करता है। रूस ने पहले ही कहा था कि अगर स्वीडन और फिनलैंड नाटो में शामिल होगे तेा उनको इसका खमियाजा भुगतना होगा।
स्वीडन और फिनलैंड का नाटो में शामिल होना चकित करने वाला है। दोनों देश लंबे समय से तटस्थ थे लेकिन यूक्रेन जंग के बीच इन्होंने अपना इरादा बदल है। पुतिन की सैन्य रणनीति से दोनों देश भयभीत हैं। दोनों देश नाटो की सुरक्षा चाहते हैं। इसके लिए तीनों देशों के बीच करार हुआ है। यह सहमति तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगन, स्वीडन पीएम मागडालेना एंडर्सन और फिनलैंड राष्ट्रपति सौली निनिस्तो के बीच हुआ है। तीनों देशों के बीच करार के अनुसार स्वीडन तुर्की के प्रत्यर्पण के आवेदन पर तेजी से काम करेगा। स्वीडन और फिनलैंड दोनों अपने कानून को संशोधित करेंगे ताकि तुर्की के लिए खतरा बन रहे लोगों के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जा सके।