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सचिन पायलट को लग सकता है झटका, कई विधायक नहीं लड़ना चाहते हैं चुनाव ? जानिए वजह

जयपुर : इस साल 2023 के अंत में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसकी बिसात पार्टियां बिछाने लग गई हैं। एक तरफ जहां भाजपा (BJP) टिकटों को लेकर रायसुमारी कर रही तो वहीं कांग्रेस भी पीछे नहीं हैं, किन्‍तु इस बार कांग्रेस के विधायक चुनाव लड़ने से इनकार कर रहे हैं। कांग्रेस विधायक चाहते है कि पार्टी उनके बेटों को दिया जाए।

आपको बता दें कि राजस्थान में कांग्रेस विधायक विधायक दीपेंद्रसिंह शेखावत ने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया है। सीकर जिले के श्रीमाधोपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक दीपेंद्रसिंह ने सोशल मीडिया चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान किया है। शेखावत ने लिखा- मेरा परिवार श्रीमाधोपुर विधानसभा क्षेत्र की जनता ने जो समय – समय पर साथ व समर्थन दिया है, इसके लिए मैं आपका सदैव आभारी रहूंगा. मैं अब चुनाव नही लडूंगा।

कांग्रेस के सहप्रभारी ने साफ कह दिया है चुनाव नहीं लड़ने के इच्छुक कांग्रेस विधायकों के बेटों को योग्यता के आधार पर ही टिकट दिया जाएगा। खास बात यह य है कि चुनाव नहीं लड़ने का ऐलान करने वालों में सचिन पायलट गुट के विधायकों की संख्या बढ़ती जा रही है। पायलट कैंप के माने जाने दीपेंद्र सिंह शेखावत, मंत्री हेमाराम चौधरी और भरत सिंह कुंदनपुर चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। हालांकि, किसी विधायक ने सीधे तौर पर यह नहीं कहा है कि उनके परिवार वालों को टिकट दिया जाए। लेकिन इशारों में सबकुछ कह दिया।
राजस्थान की राजनीती में पायलट कैंप के माने जाने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह शेखावत ने चुनाव नहीं लड़ने का आधिकारिक ऐलान कर दिया है। शेखावत का कहना है कि वह अस्वस्थ है। ऐसे में जनता के साथ न्याय नहीं कर पाएंगे। सियासी जानकार शेखावत की चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा के अलग-अलग सियासी मायने निकाल रहे हैं। दरअसल, शेखावत ने 2020 में सचिन पायलट के साथ बगावत की थी।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ऐसे में बगावत करने वाले विधायकों के टिकट खतरे में पड़ सकते हैं। प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने संकेत दिए है करीब 70 कांग्रेस विधायकों टिकट काटे जा सकते है। शेखावत सीकर जिले की श्रीमाधोपुर से विधायक है। कई बार चुनाव जीते हैं। शेखावत चाहते है कि उनते बेटे को टिकट दिया जाए। शेखावत का बेटा अपने क्षेत्र में काफी एक्टिव रहता है। टिकट के दावेदार माने जा रहे हैं।

प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी कई बार कह चुके हैं कि वह इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे। ऐसे में माना जा रहा है कि पायलट कैंप हेमरामा चौधरी की बेटी को आगे कर सकता है। हालांकि, हेमरामा चौधरी ने कभी यह संकेत नहीं दिए है कि उनकी जगह उसके परिजनों को टिकट दिया जाए, लेकिन सियासी जानकारों का कहना है कि सचिन पायलट हेमाराम चौधरी के चुनाव नहीं लड़ने के स्थिति में उनकी बेटी को टिकट दिलाने की पैरवी कर सकते हैं।

बता दें मंत्री हेमाराम चौधरी ने अपना इस्तीफा स्पीकर सीपी जोशी को भेज दिया था। हालांकि, बाद में पायलट के कहने पर चौधरी ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया। प्रदेश की सियासक में बयानों में सुर्खियों में रहने वाले विधायक भरतसिंह चुनाव नहीं बात कह चुके हैं।

श्रीगंगानगर के करणपुर से कांग्रेस के विधायक गुरमीत सिंह कुन्नर ने आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। मीडिया से बातचीत में कहा- बढ़ती उम्र के साथ चुनाव लड़ने की इच्छा खत्म हो जाती है। मेरी मन से चुनाव लड़ना नहीं चाहता। मैं पार्टी नेताओं से कह रहा हूं की मेरे बेटे को लड़वा दो आगामी विधानसभा चुनाव। मैं नहीं लडूंगा आगामी विधानसभा चुनाव। हालांकि, राजस्थान के सहप्रभारी काजी निजामुद्दीन का कहना है कि योग्यता के आधार पर टिकट दिया जाएगा।

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