राजनीति के शिखर थे समाजवादी मुलायम सिंह यादव
स्तंभ: लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे राजनीति के पुरोधा पुरुष, उत्कृष्ट समाजवादी, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं संस्थापक मुलायम सिंह यादव अब हमारे बीच नहीं रहे। एक संभावनाओं भरा राजनीति सफर ठहर गया, उनका निधन न केवल समाजवादी पार्टी के लिये बल्कि भारतीय राजनीति के लिये एक गहरा आघात है, अपूरणीय क्षति है। राजनीति और समाजवादी पार्टी के लिए उनका योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। देशहित में नीतियां बनाने में माहिर मुलायम सिंह का 82 वर्ष का जीवन सफर राजनीतिक आदर्शों की ऊंची मीनार हैं। उनका निधन एक युग की समाप्ति है। उन्हें हम समाजवादी सोच एवं भारतीय राजनीति का अक्षयकोष कह सकते हैं, वे गहन मानवीय चेतना के चितेरे जुझारु, नीडर, साहसिक एवं प्रखर व्यक्तित्व थे।
मुलायम सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सैफई से ग्रहण की। राजनीति में आने से पूर्व उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर (एम०ए०) और बी० टी० करने के उपरान्त इन्टर कालेज में प्रवक्ता नियुक्त हुए और सक्रिय राजनीति में रहते हुए नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। बच्चों को पढ़ाने के दौरान वह सामाजिक कार्यों में भी रुचि लेने लगे। समाजवादी आंदोलन में वह अब खुलकर भाग लेने लगे थे। उनका कुनबा प्रदेश की राजनीति में खासा दखल रखता है। मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवम्बर 1939 को इटावा जिले के सैफई गाँव में मूर्ति देवी व सुघर सिंह यादव के किसान परिवार में हुआ। वह अपने पांच भाइयों में दूसरे नंबर के थे। उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री और एक बार रक्षा मंत्री रह चुके मुलायम सिंह यादव देश के उन दिग्गज जमीनी नेताओं में शुमार किए जाते हैं जिन्होंने अपने बल पर राजनीति में नया मुकाम हासिल किया और राजनीति की नयी परिभाषाएं गढ़ी। उन्हें पिछड़ी जातियों का सबसे बड़ा नेता माना जाता है। उनकी पहचान ऐसे राजनेता की रही है जो साधारण किसान परिवार से निकलकर राजनीति में अपनी पहचान बनाई। नेताजी के नाम से मशहूर मुलायम सिंह बचपन में पहलवानी करते थे। बचपन से ही नेताजी को पहलवानी पसंद थी। वह अपने समय के बड़े-बड़े नामी पहलवानों को आसानी से चित कर देते थे। ऐसा कहा जाता है कि कुश्ती में उनका सबसे प्रिय दांव ‘चरखा’ था, बाद में उन्होंने राजनीति में भी धोबी पछाड़ दांव से कई दिग्गजों को चित किया।
मुलायम सिंह ने सैफई से राजनीतिक शिखर तक का सफर संघर्षों से तय किया था। उन्होंने लम्बी राजनीति पारी खेली। उनका राजनीतिक सफर 55 वर्ष का रहा। साल 1967 में यूपी के विधानसभा चुनाव में जसवंत नगर से मौजूदा विधायक नत्थू सिंह ने ही मुलायम सिंह को संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से टिकट दिलवाया और चुनाव प्रचार भी किया। इसकी मुख्य वजह यह रही कि मुलायम सिंह राम मनोहर लोहिया आंदोलन से जुड़े थे। नत्थू के आशीर्वाद से मुलायम पहली बार विधायक बने। इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह इस सीट से आठ बार विधायक चुने गए। 1977 में मुलायम सिंह पहली बार यूपी सरकार में मंत्री बने। वह 1989 से 1991, 1993 से 1995 और 2003 से 2007 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। मुलायम सिंह एक जून 1996 से 19 मार्च 1998 तक एचडी देवगौड़ा की सरकार में देश के रक्षा मंत्री भी रहे। मौजूदा समय में वे यूपी की मैनपुरी से सांसद थे। मुलायम सिंह ही ऐसे नेता हैं जो 55 साल के राजनीतिक करियर में 9 बार विधायक और 7 बार सांसद चुने गए। जब पूरे देश में मोदी लहर चल कही थी तो उन्होंने आजमगढ़ और मैनपुरी दोनों लोकसभा सीट से जीत दर्ज की। मुलायम सिंह यादव ने जनता दल से अलग होकर 4 अक्टूबर 1992 को समाजवादी पार्टी का गठन किया। उत्तर प्रदेश में यादव समाज के सबसे बड़े नेता एवं धर्मनिरपेक्ष नेता के रूप में मुलायम सिंह की पहचान है। उत्तर प्रदेश में सामाजिक सद्भाव को बनाए रखने में उन्होंने साहसिक योगदान किया।
मुलायम सिंह यादव जब विद्यार्थी थे तभी से उनके मन-मस्तिष्क पर डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों की गहरी छाप पड़ी। डॉ. लोहिया के विचारों ने ही उनके विशिष्ट व्यक्तित्व का निर्माण किया और उनका स्वतंत्र चिंतन, कथनी और करनी का सिद्धांत निरन्तर प्रेरणा का काम करता रहा है। डॉ. लोहिया के विशाल व्यक्तित्व की छाया में ही मुलायम सिंह यादव के सामाजिक, राजनीतिक विचारों ने गति और दिशा पाई। तभी तो मुलायम सिंह यादव जो कुछ कहते थे, जो भी आकलन-निर्णय करते थे, जैसा भी राजनीतिक संघर्ष करते थे उसमें सत्य और निष्ठा का भाव तो होता ही था साथ ही उसमें विश्वास और चारित्रिक प्रामाणिकता भी होती थी। वे केवल राजनीतिक लाभ-हानि अथवा चुनावी हार-जीत के वशीभूत होकर ही बात नहीं करते थे बल्कि गरीबों के दुख-दर्द के सहभागी बनकर उसे महसूस भी करते थे। उनका अनूठा चरित्र सभी को आकर्षित करता रहा। विरोधी भी उनकी साफगोई कंठ से प्रशंसा करते हैं। उन्होंने समाजवादी आंदोलन को जो दिशा दी वह युवाओं को काफी प्रेरित करती है।
भारत में समाजवादी होना कठिन तपस्या रही है। वैसे भी हमारे देश में समाजवादी प्रतिभा, चिंतन और कार्यशैली स्वतंत्र रही है। वास्तव में मुलायम सिंह यादव ऐसे समाजवादी रहे हैं जिन्होंने न केवल डॉ. लोहिया के विचारों और उनकी समाजवादी नीतियों को व्यावहारिकता के धरातल पर उतार कर समाजवादी आंदोलन को सही मायनों में नई ऊंचाइयां प्रदान की हैं बल्कि अपने लक्ष्य को पाने के लिए वह निरंतर प्रयत्नरत रहे हैं। इस कथन में कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि समाजवादी आंदोलन का प्रमुख आधार रहे डॉ. लोहिया, जयप्रकाश नारायण और आचार्य नरेन्द्र देव की त्रिमूर्ति के बाद यदि किसी ने समाजवादी विचारधारा के चिंतन को नया आयाम दिया है तो वह केवल मुलायम सिंह यादव ही हैं। वह मुलायम सिंह यादव ही हैं जिनके प्रयासों से समाजवादी नीतियों के क्रियान्वयन ने शोषित समाज को अपनी अभिव्यक्ति के लिए एक मजबूत आधार दिया जहां से वे निर्भीक होकर अपने शोषण के खिलाफ आवाज उठा सके हैं।
समाजवादी नेताओं में मुलायम सिंह यादव सर्वश्रेष्ठ, कर्मठ और महत्वपूर्ण राजनेता थे। समाजवाद के वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आज कोई दूसरा राजनेता नहीं था जिसने इतने संघर्षों से गुजरने के बाद भी अपनी मुहिम को पूरी ताकत के साथ चला रखा था। मुलायम सिंह का जीवन और उनका संघर्ष इस लक्ष्य के लिए समर्पित है कि नये भारत और नये समाज की संरचना कैसे हो। उनके विचारों और चिंतन में सांप्रदायिकता, धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद, पूंजीवाद, धर्म और राजनीति, रक्षा नीति, विदेश नीति, जातिवाद, आरक्षण आदि विषयों पर विस्तृत और स्पष्ट व्याख्या मौजूद है। लाखों-लाखों की भीड़ में कोई-कोई मुलायम जैसा विलक्षण एवं प्रतिभाशाली व्यक्ति जीवन-विकास की प्रयोगशाला मेें विभिन्न प्रशिक्षणों-परीक्षणों से गुजरकर महानता का वरन करता है, विकास के उच्च शिखरों पर आरूढ़ होता है और अपनी मौलिक सोच, कर्मठता, जिजीविषा, पुरुषार्थ एवं राष्ट्र-भावना से समाज एवं राष्ट्र को अभिप्रेरित करता है। वे भारतीय राजनीति का एक आदर्श चेहरा थे। मुलायम सिंह यादव सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वोपरि मुख्यमंत्री बने थे तो यह उनके चरित्र, राजनीति कौशल की विशेषता है। उनकी पहचान एक संवेदनशील और नीति-निर्धारक मुख्यमंत्री के रूप में की जाती थी। उनमें जुझारू और विपरीति परिस्थितियों से निरंतर संघर्ष करने का कृषक वाला अद्भुत साहसिक गुण था। उन्होंने कभी विपरीत परिस्थितियों से समझौता नहीं किया, निरंतर उनसे जूझते रहे और अंततः सफलता पाई। वास्तव में हमारे देश एवं समाज को मुलायम सिंह यादव से जो अपेक्षाएं थी उन पर तो वह खरे उतरे ही, बल्कि उससे ज्यादा भी बहुत कुछ करके दिखाया है।
मुलायम सिंह यादव की निष्पक्ष कार्यशैली, स्पष्ट विचारधारा और जनप्रिय व्यवहार निरंतर उन्हें नयी बुलंदियों की ओर ले जाता रहा। उनकी यह खासियत रही कि उनके व्यवहार में जहां आक्रामकता थी तो वहीं गजब की शालीनता और सहनशीलता भी देखने को मिलती थी। उनकी राजनीतिक चतुराई और सूझबूझ में ग्रामीण एवं शहरी व्यवहार और बुद्धिमता का अद्भुत सम्मिश्रण था। स्वयं को हासिल इसी महारत के दम पर वह बड़ी-बड़ी राजनीतिक कठिनाइयों का सामना अत्यंत सरलता से करते रहे हैं। ऐसा नहीं है कि अपने लंबे राजनीतिक जीवन में उन्होंने परेशानियों को नहीं झेला है अथवा संकट के दौर से नहीं गुजरे हैं, परंतु अपने आत्मबल और राजनीतिक कौशल के दम पर वह हर मुश्किल से निकलकर किसी शक्तिशाली चट्टान की भांति खड़े रहे हैं और बड़े तथा महत्वपूर्ण फैसलों का निर्णय उन्होंने एक पल में लिया है। उनका निधन एक आदर्श एवं बेबाक सोच की राजनीति का अंत है। वे सिद्धांतों एवं आदर्शों पर जीने वाले व्यक्तियों की शंृखला के प्रतीक थे। उनके निधन को राजनैतिक जीवन में शुद्धता की, मूल्यों की, राजनीति की, आदर्श के सामने राजसत्ता को छोटा गिनने की या सिद्धांतों पर अडिग रहकर न झुकने, न समझौता करने की समाप्ति समझा जा सकता है। आपके जीवन की खिड़कियाँ समाज एवं राष्ट्र को नई दृष्टि देने के लिए सदैव खुली रही। उनकी सहजता और सरलता में गोता लगाने से ज्ञात होता है कि वे गहरे मानवीय सरोकार से ओतप्रोत एक अल्हड़ राजनीतिक व्यक्तित्व थे। बेशक मुलायम सिंह अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन अपने सफल राजनीतिक जीवन के दम पर वे हमेशा भारतीय राजनीति के आसमान में एक सितारे की तरह टिमटिमाते रहेंगे।