प्रदेश में समूह बनाकर नीलाम की जाएंगी रेत खदानें
भोपाल: टीकमगढ़, आगर-मालवा, रतलाम, मंदसौर, पन्ना एवं शाजापुर जिलों की रेत खदानों को लीज पर देने की तमाम कोशिशें बेकार साबित हुई हैं। इसलिए अब जिले की बजाय तहसील स्तर पर खदानों के समूह बनाकर नीलाम किए जाएंगे। यह नीलामी तीन महीने के लिए होगी। क्योंकि जून से बारिश का मौसम शुरू हो जाएगा और प्रदेश की नदियों से रेत उत्खनन पर रोक लग जाएगी। यानी ठेकेदार जनवरी से मार्च 2023 में नदियों से रेत उत्खनन शुरू कर पाएंगे। क्योंकि अप्रेल-मई 2023 से नई रेत नीति पर काम शुरू हो जाएगा। यही कारण है कि सरकार कम अवधि के लिए खदानें नीलाम कर रही है।
सरकार ने वर्ष 2019 में रेत नीति बनाई थी और अब वर्ष 2023 में नई रेत नीति बनाई जानी है। इसलिए उन खदानों को संक्षिप्त निविदा निकालकर नीलाम किया जा रहा है, जो पिछले साढ़े तीन साल में नीलाम नहीं हो पाई हैं। दरअसल, इन खदानों में गुणवत्ता की रेत नहीं है और सरकार रेत की मात्रा भी ज्यादा बता रही है। इसलिए ठेकेदारों ने रुचि नहीं दिखाई। जिसे देखते हुए खदानों के छोटे समूह बनाकर नीलाम करने की रणनीति बनाई गई है। खनिज साधन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि छोटे समूह होंगे, तो ठेकेदार उन्हें लीज पर लेंगे और उत्खनन भी करेंगे। जिससे ज्यादा रेत बाजार में आएगी और दाम कम होंगे।
11 खदानें नीलाम, दो सौ करोड़ रुपये मिलेंगे
वर्ष 2019 में नीलाम 43 जिलों की रेत खदानों में से 17 जिलों की खदानें ठेकेदारों ने छोड़ दी थीं। उनमें से 11 जिलों की खदानें पिछले माह लीज पर दे दी गई हैं। इनसे सरकार को सालभर में करीब दो सौ करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा। ये खदानें खनिज निगम से वापस लेकर विभाग को सौंपी गई हैं।