सरिस्का बाघ अभयारण्य में पर्यटन की अपार संभावनायें : डीएफओ
अलवर/जयपुर : राजस्थान में सरिस्का अभयारण्य देश में ही नहीं बल्कि दुनिया में पर्यटन के क्षेत्र में प्रमुख आकर्षण का केंद्र रहा है, बाघों से पुन: गुलजार होने के बाद इसमें पर्यटन की अपार संभावनाए बन रही हैं। आने वाले समय में सरिस्का की तस्वीर बदलेगी और संभावनाओं के नये द्वार खुलेंगे। कभी बाघों की मौत को लेकर सुर्खियों में रहने वाल विश्व विख्यात सरिस्का अभयारण्य अब बाघों से गुलजार हो रहा है। बाघ पर्यटकों को रिझा रहे हैं।
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दरअसल सरिस्का वन अभ्यारण को 2005 में ऐसा ग्रहण लगा जब यहां शिकारियों ने करीब 35 बाग बाघिनों का सफाया करके अभयारण्य को बाघविहीन कर दिया था। इस घटना के बाद यहां पर्यटकों का आना लगभग बंद हो गया था। सरिस्का को बाघों से पुनः आबाद करने के लिये वन विभाग ने 2008 में पहली बार रणथम्बौर से हेलीकॉप्टर से यहां बाघों को लाया गया। यह अभिनव प्रयोग भी देश में पहली बार ही हुआ था।
आखिरकार सरिस्का के बाघों से फिर से आबाद होने की उम्मीद की किरण नजर आई, लेकिन यह खुशी भी ज्यादा दिन नहीं टिक पाई और एक के बाद एक कई बाघों की मौत की घटनाएं सामने आई। उसके बाद वन प्रशासन के अथक प्रयासों के बाद एक बार फिर से यहां बाघों का कुनबा बढ़ने लगा और वर्तमान में सरिस्का में 10 बाघिन और 6 बाघ तथा चार शावकों सहित 20 बाघ मौजूद हैं। ये बाघ सैलानियों के सामने बार-बार आकर उन्हें रिझा रहे हैं।
तीन महीने बाद एक अक्टूबर को जैसे ही सरिस्का अभ्यारण सैलानियों के लिए खोला गया तो टहला गेट से प्रवेश करने वाले पर्यटकों ने एसटी-तीन को देखा। कुछ दिन बाद करना का बास के पास एसटी-पांच ने भी पर्यटकों को आकर्षित करने की कोशिश की तथा शनिवार रात्रि अलवर जयपुर मार्ग बांदीपुर के पास बाघ एसटी-21 और बाघिन एसटी-9 उस समय सड़क पर आ गए थे जब वहां से एक रोडवेज बस गुजर रही थी इस दौरान सभी यात्री इन दोनों बाघों को देखकर रोमांचित हो गये। उन्होंने इनकी वीडियो भी बनाई जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।
डीएफओ सुदर्शन शर्मा का कहना है कि लगातार बाघों की साइटिंग के चलते अभयारण्य में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा उन्होंने बताया कि अब तक एसटी-तीन पर्यटक को सबसे ज्यादा दिखा है।
वहीं एसटी -15, 21 और एसटी-9 भी पर्यटकों को नजर आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि बाघों के संरक्षण के मद्देनजर उनकी निगरानी के लिये रेडियो कॉलर लगाने की प्रक्रिया चल रही है। इसके लिए सरिस्का प्रशासन ने एनटीसी को पत्र लिखा है। वयस्क होते बाघों की निगरानी के लिए रेडियो कॉलर लगाना जरूरी है। श्री शर्मा ने बताया कि सरिस्का के एसटी 17, 18 ,19, 20 एवं 21 नर मादा बाघों को रेडियो कॉलर लगाने के लिए एनटीसी को पत्र लिखा गया है और वहां से अनुमति मिलने के बाद रेडियो कॉलर लगा दिये जाएंगे। इसके विशेषज्ञों का दल सरिस्का आएगा। उन्होंने बताया कि शीघ्र ही रेडियो कॉलर लगाने के लिए स्वीकृति मिल जाएगी जिससे वयस्क होते शावकों पर निगरानी और सुव्यवस्थित तरीके से की जा सके।
उधर, सरिस्का बाघ अभयारण्य में बाघों के संरक्षण के लिये किये जा रहे प्रयासों के तहत गांवों में विस्थापन के प्रयास गति नहीं पकड़ पा रहे हैं। सरकार की ओर से जारी स्वैच्छिक विस्थापन के अनुरोध के चलते विस्थापन बहुत धीमी गति से हो रहा है। बाघों के सफाए के बाद जब यहां बाघों को लाया गया तब केंद्र सरकार और राजस्थान सरकार के दिशा निर्देशानुसार यहां गांव के विस्थापन की प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिसमें अच्छा खासा पैकेज दिया गया था। शुरू में दो गांवों का विस्थापन हो गया, लेकिन विस्थापन स्वैच्छिक होने के कारण राजनीति की भेंट चढ़ गया और हालात यह हो गए कि स्थानीय नेता यहां के विस्थापन को नहीं होने देना चाहते। हालांकि राज्य सरकार और एनटीसीए गांवों के विस्थापन के लिए पूरी तरह प्रयासरत है।
सरिस्का में ग्रामीणों का विस्थापन पिछले कई वर्षाें से जारी है और अब तक इस विस्थापन की प्रक्रिया चल रही है। सरिस्का के उप वन संरक्षक सुदर्शन शर्मा ने बताया कि वर्तमान में छह गांवों में विस्थापन का काम प्रगति पर है। बातचीत का दौर चल रहा है और छह गांवों के कुछ परिवारों ने सरिस्का से जाने की सहमति व्यक्त की है।