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बाराबंकी में सरयू ने 12 साल बाद किया श्रीलोधेश्वर का जलाभिषेक

sri Lodheswar Mahadev Mandir

बाराबंकी : सरयू नदी (Saryu River) का जलस्तर खतरे के निशान से 75 सेमी ऊपर जाकर बुधवार की शाम रुक गया है। अप्रत्याशित रूप से बुधवार सुबह श्रीलोधेश्वर महादेव मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग (Shivlinga) को स्पर्श कर गया। मंदिर पुजारी विरेंद्र शास्त्री ने बताया कि सरयू नदी का जलस्तर उत्तर दिशा से होकर श्रीलोधेश्वर मंदिर (Sri Lodheswar Mandir) पहुंचा। बताया जाता है कि शिवलिंग की स्थापना पांडवों ने की थी।

पांडवों ने वन-वन भटकते हुए स्थापित किया था शिवलिंग

प्राकृतिक रूप से सरयू नदी बाढ़ के दौरान नतमस्तक होकर शिवजी का जलाभिषेक करती हैं। ऐसा 12 वर्ष पहले 2008 में भी हुआ था, जब बाढ़ का पानी शिवलिंग तक पहुंचा था। श्रीलोधेश्वर मंदिर में सरयू नदी का पानी शिवलिंग को स्पर्श करने के बाद कम होने लगा था। मठ रिसीवर हरिप्रशाद द्विवेदी ने बताया कि मंदिर के अंदर गर्भ गृह से पानी निकलवाया जा रहा है।

sri Lodheswar Mahadev Mandir

लोधेश्वर महादेव की स्थापना पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान की थी। पांडवों ने यहां वेद व्यास (Vyas) मुनि की कहने पर रूद्र महायज्ञ का आयोजन भी किया था। यहां आज भी इस यज्ञ के निशान मौजूद हैं। यह भी कहा जाता है कि बाद में इसे लोधे राम ने खोजा, इसलिए इसका नाम लोधेश्वर महादेव मंदिर पड़ा। सावन व महाशिवरात्रि के पावन पर्व दूर-दूर से लोग यहां दर्शन करने आते हैं। यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। श्रीलोधेश्वर महादेव मंदिर बहुत बड़ा आस्था का केंद्र है लेकिन कोरोना वायरस के चलते बहुत सावधानी से मंदिर में भक्तों को दर्शन कराए जाते हैं। साथ ही संक्रमण से बचाव के लिए प्रशासन ने इस बार हर साल लगने वाले मेले को भी रद्द कर दिया था।

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