नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली में 2012 के दिसंबर महीने में छात्रा के साथ चलती बस में हुए गैंगरेप और प्रताड़ना के 6 दोषियों में से एक किशोर अपराधी की रिहाई पर रोक लगाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। इससे बौखलाई दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा- मुझे लगता है कि इस देश की लड़कियों को अब मोमबत्तियां नहीं, मशालें लेकर सड़कों पर उतरना पड़ेगा। तभी जाकर इस देश का सोया हुआ सिस्टम जागेगा।
दिल्ली महिला आयोग ने इस नाबालिग की रिहाई को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील दर्ज की थी। सुप्रीम कोर्ट के इस अर्जी को खारिज कर देने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए मालीवाल ने कहा, इस मामले की सुनवाई आधा घंटे चली। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम आपकी चिंता से पूरी तरह इत्तेफाक रखते हैं लेकिन कानून इतना कमजोर है कि हम आपकी मदद नहीं कर सकते।
राज्यसभा ने पूरे देश को दिया धोखा, कहा स्वाति ने
मालीवाल ने कहा कि हमने पूरे समय कोशिश की कि किसी भी हाल में उसे (किशोर अपराधी को) रिलीज न किया जाए, हम हर वक्त यह कोशिश करते रहे। स्वाति ने कहा- आज का दिन पूरे देश के लिए काला दिन है राज्यसभा ने पूरे देश को धोखा दिया क्योंकि उनकी वजह से आज भी कानून पेंडिंग पड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने पूरी कोशिश की लेकिन कहा कि हमें कंसर्न तो है लेकिन हम चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते।
शनिवार को ही खटखटाया था कोर्ट का दरवाजा…
शनिवार देर रात दिल्ली महिला आयोग ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और रविवार को भी जुवेनाइल जस्टिस बोर्ट को चिट्टी लिखकर नाबालिग दोषी को नहीं छोड़ने की अपील की थी, जिस पर जस्टिस आदर्श गोयल ने सोमवार को सुनवाई की बात कही थीवहीं, उच्चतम न्यायालय के इस आदेश के बाद निर्भया की मां आशा देवी ने नम आंखों से कहा कि ‘मुझे पता था यही होगा। भारत में कभी कानून नहीं बदलेगा और महिलाओं को कभी इंसाफ नहीं मिलेगा। कानून में बदलाव के लिए लड़ती रहूंगी। निर्भया केस से सबक न लेना दुर्भाग्य है।’