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सुप्रीम कोर्ट ने नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) को ताज मानसिंह होटल को नीलाम करने के निर्णय पर पुनर्विचार करने को कहा है। अदालत ने पाया कि इस मामले में एनडीएमसी ने कानूनी राय को नजरअंदाज कर दिया।
वर्ष 2014 में अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी और सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने ताज मानसिंह होटल की लीज बढ़ाने का सुझाव दिया था। न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति रोहिंग्टन नरीमन की पीठ ने एनडीएमसी को अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल की राय को ध्यान में रखते हुए ताज मान सिंह को नीलाम करने के निर्णय पर फिर से विचार करने के लिए कहा है।
पीठ ने कहा कि जब गृह मंत्रालय ने एनडीएमसी को ताज मानसिंह होटल की नीलामी करने के लिए कहा है था उस वक्त मंत्रालय को विधि अधिकारियों के सुझाव की जानकारी नहीं थी। न्यायमूर्ति रोहिंग्टन नरीमन ने कहा कि मंत्रालय को कानूनी राय की जानकारी से दूर रखना उचित नहीं नजर आता। पीठ ने एनडीएमसी को अपने निर्णय पर फिर से विचार करने के लिए छह हफ्ते का वक्त दिया है।
नवीनीकरण एनडीएमसी के अधिकार क्षेत्र में है। शुरुआत में 33 वर्ष के लीज पर आईएचसीएल को यह संपत्ति दी गई थी। लीज की अवधि 2011 मे खत्म हो गई। इसके बाद नौ बार अस्थायी रूप से एक्सटेंशन दिया गया। आईएचसीएल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे की दलील है कि अगर होटल को नीलाम भी किया जाना है तो उसे पहला मौका दिया जाना चाहिए।