नई दिल्ली : हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्तियों के मामले पर न्यायपालिका और सरकार के बीच टकराव अब और तेज हो गया है. शुक्रवार को देश के मुख्य न्यायधीश टीएस ठाकुर समेत तीन जजों की बेंच ने सरकार से पूछा कि कोलेजियम की सिफारिश के बावजूद अब तक 75 जजों की नियुक्तियां क्यों नहीं हुई हैं? मुख्य न्यायधीश ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से पूछा कि 8 महीने से सिफारिश कोलेजियम ने की हुई है, तो अब तक वो नियुक्तियां क्यों नहीं हुईं? आखिर किसने नियुक्तियों को रोका हुआ है? मामला आखिर किस अथॉरिटी के पास रुका है? जस्टिस ठाकुर ने कहा की सरकार को अगर किसी नाम पर आपत्ति है तो वो उसे पर्याप्त दस्तावेजों और वजहों के साथ कोलेजियम को वापस भेज सकती है लेकिन सिफारिशों पर कोई फैसला न लेना पूरी प्रक्रिया को रोक देता है.
‘केंद्र ने अब तक कुछ नहीं किया’
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोलेजियम ने हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए 75 लोगों की लिस्ट भेजी थी, लेकिन केंद्र ने अब तक इस पर कुछ नहीं किया. सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से कहा अब समय आ गया है की अदालत इसमें दखल दे और न्यायिक आदेश दे. कोर्ट के आक्रामक तेवर देख कर अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि वो सुप्रीम अथॉरिटी के सामने मामले को ले जायेंगे और 4 हफ्ते में जवाब देंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा की देश के तमाम हाईकोर्ट में जजों के 43 फीसदी पद खाली पड़े हैं. तो दूसरी तरफ लंबित मामलों की संख्या 4 करोड़ के पार जा रही है ऐसे में जजों की नियुक्तियां बेहद जरूरी है. सुप्रीम कोर्ट ने एक रिटायर्ड लेफ्टिनेंट कर्नल अनिल कबोत्रा की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणियां की. कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से ये भी कहा कि आप (सरकार) चाहे इस मामले पर गंभीर हों या न हों लेकिन ये याचिका बताती है की आम आदमी के लिए भी ये एक गंभीर मुद्दा है. इस याचिका में कोर्ट का ध्यान लंबित मामलों की संख्या और उनके समाधान की तरफ खींचने की कोशिश की गई है.