नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम के मामले सुनवाई कल यानि 9 दिसम्बर तक के लिए टाल दी है। आज सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र ने इस मामले में अपना जवाब दाखिल कर दिया है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के सर्कुलर केंद्र के निर्देश पर जारी किए गए।
केंद्र सरकार ने पिछले 27 नवम्बर को कहा था कि कोर्ट को सरकार की वित्तीय नीतियों में दखल नहीं देना चाहिए। सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता के वकील विशाल तिवारी ने कहा था कि उन्होंने मोरेटोरियम की अवधि 31 मार्च 2021 तक बढ़ाने के लिए याचिका दायर किया है। उन्होंने कहा था कि बैंक और नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कारपोरेशन लोगों को प्रताड़ित नहीं करें इसका दिशानिर्देश जारी करना चाहिए। कर्जदाता बैंक गैरकानूनी तरीका अपना रहे हैं और लोगों से गाली-गलौच की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं।
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तिवारी ने कहा था कि कोरोना के संकट के दौरान बारह करोड़ बीस लाख लोगों की नौकरियां गई हैं। जब कोई व्यक्ति तीस से पैंतीस हजार रुपये प्रति महीने कमा रहा था, वह दस हजार रुपये ईएमआई के रुप में देता था। लेकिन जब उसकी आमदनी काफी घट गई है तो वह ईएमआई कहां से चुकाएगा। सुनवाई के दौरान इंडियन बैंक्स एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि बैंक कर्जदारों को लेकर काफी असहाय हो गए हैं ।
पिछले 19 नवम्बर को कोर्ट ने छोटे कर्जदारों के लिए याचिका दाखिल करने वाले वकील ने दो करोड़ तक के ऋण पर चक्रवृद्धि ब्याज माफ करने पर संतोष जताते हुए उनके मामलों का निपटारा कर दिया था। सुनवाई के दौरान पावर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि असाधारण परिस्थिति आई है और उनके लिए विशेष सहायता की जरूरत है।
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