नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में 2000 सीसी से ज्यादा की डीजल गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन से रोक हटाने का फैसला शर्तोंं के साथ वापस ले लिया है। कोर्ट से अपने सख्त फैसले में कार निर्माता, डीलर और उपभोक्ता को एक फीसद एनवायरनमेंट कंपनसेशन सेस देने का निर्देश दिया है। वहीं, केंद्र सरकार ने एक फीसद सेस का विरोध किया है।
पिछली सुनवाई में कार निर्माता कंपनी मर्सिडीज़-बेंज ने सुप्रीम कोर्ट में इस बारे में अर्ज़ी दाखिल की था। कंपनी की ओर से कहा गया था कि वेे एक फीसद एनवायरनमेंट कंपनसेशन सेस देने को तैयार हैंं। टोयोटा समेत दूसरे कार निर्माता भी कोर्ट में ऐसा बयान दे चुके थे। सुप्रीम कोर्ट ने डीज़ल गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को देखते हुए पिछले साल दिसंबर में दिल्ली में उनके रजिस्ट्रेशन पर रोक लगा दी थी।
इसके बाद सुनवाई में अपना महत्वपूर्ण आदेश सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जून महीने में दो हजार सीसी से अधिक के डीजल वाहनों के पंजीकरण पर तत्काल प्रभाव से अंतरिम रोक लगा दी थी तथा दस साल पुराने डीजल वाहनों के दिल्ली में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था।
राजधानी में डीजल वाहनों पर रोक से संबंधित मामले पर आदेश सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर, न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति आर भानुमति की खंडपीठ ने कहा था कि राजधानी में तत्काल प्रभाव से 2000 सीसी या इससे अधिक इंजन क्षमता वाले डीजन एसयूवी, कारों और व्यावसायिक वाहनों का पंजीकरण नहीं होगा। ऐसे में नए फैसले से दिल्ली-एनसीआर के कार निर्माताओं, डीलर और खरीदारों को बड़ी राहत मिली है।