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वैज्ञानिकों ने आर्कटिक में मर्करी बॉम्ब के प्रति दी गंभीर चेतावनी:

देहरादून ( विवेक ओझा) : हाल ही में वैज्ञानिकों ने कहा है कि आर्कटिक के वॉटर सिस्टम में जहरीला मर्करी ( Mercury) तेज गति से जा रहा है और इसका कारण है परमाफ्रास्ट ( Permafrost Melting) का पिघलना। वैज्ञानिकों ने अलास्का के यूकोन नदी के गाद ( सेडीमेंट) का अध्ययन करते समय यह पाया कि परमाफ्रास्ट के नष्ट होने के चलते नदी में मर्करी का जमाव बढ़ता जा रहा है।

इससे लंबे समय के लिए पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा और आर्कटिक समुदायों को भी बुरी तरह प्रभावित करेगा क्योंकि वे हंटिंग, फिशिंग आदि पर निर्भर हैं वहीं मर्करी महासागरीय सागरीय फूड चेन में संचित होती जा रही है। इसी घटनाक्रम को वैज्ञानिकों ने मर्करी बॉम्ब कहा है जो ध्यान न दिए जाने पर विनाशक रूप से फट सकता है।

परमाफ्रास्ट क्या है: पर्माफ्रॉस्ट अथवा स्थायी तुषार-भूमि वह मिट्टी है जो 2 वर्षों से अधिक अवधि से शून्य डिग्री सेल्सियस (32 डिग्री F) से कम तापमान पर जमी हुई अवस्था में है। पर्माफ्रॉस्ट मिट्टी में पत्तियाँ, टूटे हुए वृक्ष आदि के बिना क्षय हुए पड़े रहते है। इसके कारण यह जैविक कार्बन से समृद्ध होती है। जब मिट्टी जमी हुई होती है, तो कार्बन काफी हद तक निष्क्रिय होता है, लेकिन जब पर्माफ्रॉस्ट का ताप बढ़ता है तो सूक्ष्मजीवों की गतिविधियों के कारण कार्बनिक पदार्थ का अपघटन तेज़ी से बढ़ने लगता है।

फलस्वरूप वातावरण में कार्बन की सांद्रता बढ़ने लगती है। ऐसा ध्रुवीय क्षेत्रों, अलास्का, कनाडा और साइबेरिया जैसे उच्च अक्षांशीय अथवा पर्वतीय क्षेत्रों में होता है जहाँ ऊष्मा पूर्णतया मिट्टी की सतह को गर्म नहीं कर पाती है। जब पर्माफ्रॉस्ट जमी अवस्था में होता है तो मृदा में मौजूद जैविक कार्बन का विघटन नहीं हो पाता है परंतु जब पर्माफ्रॉस्ट पिघलता है तो सूक्ष्म जीवाणु इस सामग्री को विघटित करना शुरू कर देते हैं। जिससे कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन जैसी ग्रीनहाउस गैसें वायुमंडल में मुक्त होती हैं।

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