दोगुनी तेजी से बढ़ रहा पूरी दुनिया में समुद्री जलस्तर, इन द्वीपों को सबसे ज्यादा खतरा : UN रिपोर्ट
नई दिल्ली : पूरी दुनिया में समुद्री जलस्तर दोगुना तेजी से बढ़ रहा है. यह चेतावनी संयुक्त राष्ट्र ने दी है. साल 1993 से 2002 के बीच जितना जलस्तर बढ़ा, उससे दोगुना तेजी से 2013 से 2022 के बीच बढ़ा है. पिछले साल तो यह रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया था. चेतावनी ये भी है कि इस सदी के अंत तक यह इसी दर से या इससे ज्यादा गति से बढ़ सकता है.
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने बताया कि इसकी बड़ी वजह बढ़ता तापमान है. जिससे ग्लेशियर पिघल रहे हैं. समुद्र की गर्मी बढ़ रही है. जिससे पानी फैल रहा है. 2013 से 2022 के बीच समुद्री जलस्तर हर साल 4.62 मिलिमीटर की दर से बढ़ा है. यह 1993 से 2002 की गति से दोगुना है.
WMO के सेक्रेटरी-जनरल पेटेरी टालस ने कहा कि ग्लेशियरों का पिघलना और समुद्री जलस्तर का तेजी से बढ़ना बेहद खतरनाक प्रक्रिया है. इसकी वजह ज्यादा मात्रा में ग्रीनहाउस गैसों का निकलना है. जलस्तर का बढ़ना इस सदी में तो होता ही रहेगा. इसके बाद भी अगले हजारों सालों तक समुद्री जलस्तर में बढ़ोतरी होती रहेगी.
तुवालू (Tuvalu) जैसे द्वीपों को सबसे ज्यादा खतरा है. समुद्री जलस्तर के बढ़ने से इस तरह के द्वीप दुनिया के नक्शे से खत्म हो जाएंगे. अंटार्कटिका की बर्फ पिछले साल जून और जुलाई में बहुत तेजी से पिघली है. समुद्री हीटवेव जमीन की तुलना में 58 फीसदी ज्यादा थी. जिसकी वजह से ध्रुवीय इलाकों में बर्फ तेजी से पिघलती जा रही है.
पिछले साल यूरोप में 15 हजार लोगों की मौत हीटवेव की वजह से हुई. टालस ने बताया कि इस तरह के खतरनाक बुरे मौसम की स्थिति 2060 तक बनी रहेगी. अगर उत्सर्जन को कम नहीं किया गया तो स्थितियां बहुत बुरी होने वाली हैं. हालांकि अभी भी इसे सुधारा जा सकता है. ताकि आने वाली इंसानी पीढ़ियों को किसी तरह की दिक्कत न हो.
डेढ़ डिग्री सेल्सियस तापमान भी अगर अगले कुछ दशकों में बढ़ता है तो मुसीबत आनी तय है. मौसम में इतना ज्यादा परिवर्तन होगा कि कई देशों को दिक्कत का सामना करना पड़ेगा. कुल मिलाकर WMO ने कहा कि पिछला साल यानी 2022 पांचवां या छठा सबे गर्म साल था. वैश्विक तापमान प्री-इंडस्ट्रियल समय से 1.15 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था.
ये भी तब जब तीन साल तक ला-नीना क्लाइमेट चल रहा था. यानी मौसम को ठंडा रखने की व्यवस्था प्रकृति ने खुद कर रखी थी. हालांकि मौसम विज्ञानियों ने चेतावनी दी है कि साल 2023 या 2024 में औसत तापमान का रिकॉर्ड टूट सकता है. इसकी वजह जलवायु परिवर्तन और एल-नीनो हो सकता है.