मनोरंजन

घरेलू हिंसा पर आधारित संवेदनशील फिल्म ‘ढाई आखर’ 22 नवंबर को होगी रिलीज़

मुंबई (अनिल बेदाग)

हिंदी फिल्मों में सामाजिक सरोकार और मानवीय संवेदनाओं पर आधारित कहानियों ने हमेशा दर्शकों के बीच एक खास जगह बनायी हैं विशेषकर महिलाओं से संबंधित कहानियों पर आधारित बॉलीवुड फ़िल्मों ने मनोरंजन के साथ जागरूकता का संदेश भी दिया हैं निर्देशक प्रवीन अरोड़ा की घरेलू हिंसा जैसे संवेदनशील विषय पर बनी ‘ढाई आखर’ एक ऐसी ही फ़िल्म हैं जो एक महिला के अपनी पहचान खोजने की कोशिश में किये गए संघर्ष को बखूबी बयान करती है। पिछले साल इफ्फी गोवा में प्रतिष्ठित पैनोरमा सेक्शन में चयनित निर्देशक प्रवीन अरोड़ा की फ़िल्म ढाई आखर को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों की बहुत पसंद किया गया। अब फ़िल्म देश के सिनेमागृहों में 22 नवम्बर को रिलीज होगी। फ़िल्म के रिलीज को अधिकारिक घोषणा सोशल मीडिया पर नए पोस्टर के लांच के साथ की गई।

हिन्दी के वरिष्ठ लेखक अमरीक सिंह दीप के उपन्यास “तीर्थाटन के बाद” पर आधारित फिल्म ‘ढाई आखर” हर्षिता नाम की एक ऐसी महिला की कहानी है, जो वर्षों तक घरेलू हिंसा और अपमानजनक वैवाहिक जीवन का शिकार रही। वह पत्रों के माध्यम से एक मशहूर लेखक श्रीधर के करीब आती है लेकिन विधवा होने के कारण उनका यह संबंध पुरुष प्रधान समाज परिवार को स्वीकार नहीं होता। यह फिल्म हर्षिता द्वारा अपनी पहचान खोजने की कोशिश में किये गए संघर्ष को बखूबी बयान करती है। क्या हर्षिता इससे जुड़ी चुनौतियों का सामना कर पाएगी? श्रीधर के साथ उसके रिश्ते के प्रति परिवार की नफरत का अंत क्या होगा? क्या दोनों का प्यार परवान चढ़ेगा? इन सभी सवालों का भावनात्मक जवाब खोजने की कोशिश है फिल्म ‘ढाई आखर’।

हिन्दी और मराठी सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री मृणाल कुलकर्णी ने फिल्म में ‘हर्षिता’ का लीड रोल में नजर आएंगी। फिल्म और थिएटर के जाने माने अभिनेता हरीश खन्ना और प्रसिद्ध मराठी अभिनेता रोहित कोकाटे ने अहम किरदार निभाए हैं। प्रसिद्ध लेखक असगर वजाहत ने इस फिल्म की पटकथा और संवाद लिखे हैं। फिल्म की शानदार टीम में गीतकार इरशाद कामिल, हिन्दी और बंगाली संगीत निर्देशक अनुपम रॉय और गायिका कविता सेठ शामिल हैं। निर्देशक प्रवीन अरोड़ा कहते हैं कि फिल्म ‘ढाई आखर’ एक प्रेम गीत है, जो किसी के जीवन को बदलने की ताकत रखता है। कैसे हमारे परिवारों में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और हिंसा को सामान्य रूप से स्वीकार कर लिया जाता है, जिससे औरतों के व्यक्तित्व पर गहरा और बुरा प्रभाव पड़ता है। प्रेम में किसी को भी मुक्त करने की क्षमता है। अस्सी के दशक में सेट इस कहानी का बहुत ही भावनात्मक पक्ष है यह दर्शकों के दिल तक यह फ़िल्म पहुचेगी।

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