दुष्कर्म के झूठे केस में अपने बयानों में उलझी लड़की, सेशन कोर्ट ने दिया 1,653 दिन की जेल का आदेश
बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली की अदालत ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अजय उर्फ राघव निर्दोष थे, मगर दुष्कर्म के झूठे आरोप में उन्हें 4 साल, 6 महीने, 8 दिन यानी कुल 1,653 दिन जेल में काटने पड़े। उन्होंने पीड़ा सहन की, लेकिन इंतजार किया… आखिरकार जीत सत्य की हुई। युवती का झूठ ज्यादा दिन टिक नहीं सका। वह अपने ही बयानों में ऐसी उलझी कि सच सामने आ गया। सेशन कोर्ट ने आदेश दिया कि जितने दिन निर्दोष को जेल में काटने पड़े, युवती को उतने दिन कारावास की सजा दी जाए। इसके साथ ही पांच लाख 88 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। जुर्माने की राशि पीड़ित व्यक्ति को मिलेगी।
दो सितंबर, 2019 को एक महिला ने अजय के विरुद्ध FIR रजिस्ट्रर कराई कि उसकी नाबालिग बेटी को दिल्ली ले जाकर दुष्कर्म किया। कुछ दिन बाद पुलिस ने अजय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। उस समय लड़की नाबालिग बताई गई, जोकि वर्ष 2022 में बालिग हो चुकी थी। युवती की शादी भी हो चुकी है। 13 अक्टूबर, 2023 को उसने तत्कालीन स्पेशल जज (फास्ट ट्रैक) निर्दोष कुमार के सामने आरोप दोहराए। आठ फरवरी, 2024 को उसके बयान विरोधाभासी हो गए। दोबारा बयान होने पर उसने स्वीकार किया कि अजय ने दुष्कर्म नहीं किया था। इसकी जानकारी पर कोर्ट ने अजय उर्फ राघव को बाइज्जत बरी कर दिया। उसी दिन 340 सीआरपीसी के तहत तत्कालीन कोर्ट के पेशकार ने सीजेएम कोर्ट को गुमराह करने का परिवाद दर्ज कराया। उसमें युवती के झूठे बयान का उल्लेख किया गया था।
12 फरवरी को सेशन कोर्ट में मुकदमा शुरू हो गया। सरकारी वकील सुनील पांडेय ने कहा कि झूठे आरोप के कारण निर्दोष व्यक्ति को 1,653 दिन जेल में काटने पड़े। झूठी गवाही पर उम्रकैद भी हो सकती थी। कोर्ट ने युवती को मुख्य दोषी माना, क्योंकि बालिग होने के बावजूद वह झूठे बयान देती रही। उस पर 5.88 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया, जो अजय उर्फ राघव को क्षतिपूर्ति के रूप में दिया जाएगा। यदि वह जुर्माना राशि जमा नहीं करेगी तो छह महीने अतिरिक्त कारावास काटना होगा।
दुष्कर्म की बात कही थी, मगर यह सच नहीं है। सच यह है कि मेरे साथ दुष्कर्म नहीं हुआ। उसके बयान बदलने पर संदेह जताया गया कि संभव है कि प्रलोभन में आकर ऐसा किया गया हो, रुपये वसूलने के लिए झूठे आरोप लगाए हों। बयान बदलने पर संदेह गहराने पर कोर्ट ने लड़की को ही मुख्य आरोपित मानकर कारावास की सजा सुनाई।