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देश में बढ़ा भयंकर बिजली संकट, आज ऊर्जा मंत्री की अहम बैठक, दिल्ली-महाराष्ट्र समेत इन राज्यों में क्या जाएगी बिजली!

नई दिल्ली. जहाँ एक तरफ फिलहाल देश में बिजली संकट (Electricity Shortage) हावी होता दिख रहा है। वहीं इस बाबत रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, ऊर्जा मंत्री आरके सिंह और कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी के साथ बीते मंगलवार को अमित शाह ने अहम बैठक की थी। सूत्रों की मानें तो यह बैठक ऊर्जा के संकट को लेकर थी। इस महत्वपूर्ण बैठक में कैबिनेट सेक्रेटरी राजीव गौबा, कोयला मंत्रालय के अहम अधिकारी भी मौजूद थे।

यह बैठक गृह मंत्रालय में हुई थी और इस दौरान देश में कोयला और बिजली की स्थिति को लेकर चर्चा हुई थी। गौरतलब है कि बैठक की अध्यक्षता अमित शाह ने की थी। बीते मंगलवार को तकरीबन एक घंटे तक चली इस बैठक में चारो मंत्रियों ने पॉवर प्लांट में कोयला की उपलब्धता को लेकर चर्चा की, साथ ही ऊर्जा की मांग कितनी है इसपर भी चर्चा की गई थी। वहीं अमित शाह के साथ बैठक के बाद अब आज आरके सिंह महाराष्ट्र और दिल्ली में बिजली संकट को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक करेगे।

गहराया बिजली संकट

पता हो कि ठीक इसी तरह का बैठक पिछले साल अक्टूबर माह में भी हुई थी, जब देश में ऐसा ही कोयले का संकट था। वैसे भी कई राज्यों में बिजली की काफी समस्या है। ऐसे में पॉवर प्लांट में कोयला की सप्लाई के चलते आने वाले समय में बिजली का संकट और भी बढ़ सकता है।

इसी क्रम में देश के 12 राज्यों आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, झारखंड, हरियाणा में बिजली का घोर संकट है, यहां 3-8.7% तक की बिजली की कटौती हो रही है। वहीं अप्रैल 2022 में तो बिजली की मांग अपने रिकॉर्ड स्तर पर भी पहुंच चुकी है। हिक ऐसा ही बीते साल अक्टूबर में भी 1.1% का बिजली संकट देखने को मिला था, वहीं इस साल अप्रैल माह में 1। 4% का बिजली संकट है।

वहीं बिजली की कमी के चलते यूपी, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, बिहार, महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा, तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश में मुश्किलें बढ़ गई हैं। इन राज्यों ने बिजली कटौती शुरू कर दी है। अब तो स्थिति सामान्य रखने के लिए गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्य महंगी बिजली खरीद रहे हैं।

क्या हैं दिल्ली-महाराष्ट्र के हाल

बता दें कि दिल्ली में भी बिजली की मांग बढ़ी है। वहीं गर्मी की वजह से मंगलवार को दिल्ली में बिजली की मांग 5,735 मेगावॉट तक पहुंची गई, जो अप्रैल में अब तक की सबसे ज्यादा है। बीते 1 अप्रैल के मुकाबले इसमें 28% से अधिक की वृद्धि हो गई है। उस समय बिजली की मांग 4,469 मेगावॉट दर्ज की गई थी। वहीं एक दिन पहले बिजली की पीक डिमांड 5,641 मेगावॉट थी। ठीक ऐसे ही इससे पहले 30 अप्रैल 2019 को मांग 5,664 मेगावॉट तक पहुंच गई थी।

वहीं महाराष्ट्र के ऊर्जामंत्री ने बयान जारी कर राज्य के कोयला स्टॉक के बारे में बीते 14-15 अप्रैल चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए थे। जी हाँ, महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राऊत ने बताया था कि महाराष्ट्र में कुछ प्लांट में डेढ़ दिन, कुछ प्लांट में 3 दिन तो कुछ प्लांट में 6 दिन का कोयला ही बचा है। हालांकि उन्होंने इस दौरान दावा किया कि बिजली संकट को दूर करने के लिए महाराष्ट्र सरकार इस पर सतत काम कर रही है। देखा जाए तो फिलहाल महाराष्ट्र में 2500 मेगावाट बिजली की कमी है।

हालाँकि एक रिपोर्ट के मुताबिक, गर्मी शुरू होने के साथ ही देश के बिजली संयंत्रों में कोयला भंडार नौ साल के अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। कोरोना लॉकडाउन के बाद पटरी पर लौट रही औद्योगिक गतिविधियों के चलते फैक्टरियों और उद्योगों में बिजली की खपत अब महत्वपूर्ण रूप से बढ़ी है।

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