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शाहबाज खान ने अमीर खुसरों से लेकर अब तक का उर्दू का सफर बयां कर खूब लूटी वाह-वाही

लखनऊ। सियासतदानों की उर्दू के खिलाफ उठी आवाज के बाद इस भाषा को बॉलीवुड में जगह मिली। बज्म-ए-उर्दू (दुबई) के सहयोग से नार्थ इंडिया जर्नलिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से डालीबाग के गन्ना संस्थान में अंतर्राष्ट्रीय ताइक्वांडो खिलाड़ी व उद्यमी सैयद रफत ने बॉलीवुड नगमों के जरिए बॉलीवुड की कहानी उर्दू की जुबानी की प्रस्तुति दी।
इस दौरान अमीर खुसरो से लेकर आज तक उर्दू की कहानी को फिल्म अभिनेता शाहबाज खान ने जब अपने अदंाज में बयां किया तो लोग उनकी आवाज और अदायगी के दीवाने हो गये। इसमें शाहबाज खान ने सन 1920 से 2018 तक के सफर को बयां किया। कार्यक्रम में मुंबई से आए गायक मुहम्मद सलामत अली, देबबत्रा मुखर्जी, संगीता मेलेकर, दुबई की गायिका तब्बू ने अपने गीतों के जरिये बॉलीवुड के सौ वर्षों के सफर को अपने खूबसूरत अंदाज में बयां किया।

बालीवुड की कहानी उर्दू की जुबानी कार्यक्रम का हुआ आयोजन

इसमें शाहबाज खान ने अमीर खुसरो से बॉलीवुड में उर्दू के सफर को दिखाया। इसके बाद मजरूह सुल्तानपुरी, कुंदनलाल सहगल के गाए गीत, गीतकार तनवीर नकवी के गीतों को सुनाया। कार्यक्रम में शाहबाज खान ने बॉलीवुड के कई अनकहे किस्सों को अपनी जुबान देकर खूब वाहवाही लूटी। उन्होंने बताया कि बॉलीवुड फिल्मों में बैतबाजी का सिलसिला मुगले आजम फिल्म से हुआ। शकील बदायूं के लिखे गीत को नौशाद ने कव्वाली में पिरोया। इसके बाद यह सफर साल दर साल आगे बढ़ता वर्ष 2018 तक पहुंचा।
ड्रामा प्रस्तुतकर्ता सैयद रफत ने कहा कि समस्त भारतीय भाषाओं की जननी संस्कृत है, उसी प्रकार उर्दू भी संस्कृत भाषा से पैदा हुई है, मै समझता हूं कि आसान हिंदी व बोलचाल की हिंदी को ही उर्दू कहा जाता है। उन्होंने कहा कि हिंदी, हिन्दू और हिन्दुस्तान से लेकर हलवा और हलवाई तक पफारसी भाषा के शब्द ळै जिनमें मिलकर मिली-जुली भाषा उर्दू का निर्माण हुआ तथा उर्दू के चाहने वाले पूरी दुनिया में है और मेरी कोशिश है कि भाषा के माध्यम से मैं उनको लखनऊ से जोड़ने का प्रयास करू क्योंकि उर्दू और अदब में लखनऊ का कोई सानी नहीं है।इस मौके पर तफसीरा रूही, प्रो.आसिफा, जमानी, डा.अम्मार रिजवी, भारतीय ओलंपिक संघ के आनन्देश्वर पाण्डेय, नवाब जाफर मीर अब्दुल्ला, पूर्व आईएस अनीस अंसारी, प्रो. साबिरा हबीब, समेत कई लोग मोजूद रहे।

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