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नव संवत्सर : वर्ष के राजा होंगे शनि और बृहस्पति मंत्री, विश्व में रहेगी ऊथल-पुथल की स्थिति

हरिद्वार : सनातन धर्म में हिन्दू नव संवत्सर की शुरुआत चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन से होती है। इस बार 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो रही है। इस बार यह संवत्सर अपने आप में काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि नल नामक संवत्सर के राजा शनि और मंत्री बृहस्पति होने वाले हैं। राजा और मंत्री का यह योग ग्रह मंडल में अन्य ग्रहों को अलग-अलग मंत्री पद के साथ ही देश ही नहीं बल्कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में भी अपना प्रभाव दिखाएगा।नवसंवत्सर के फलादेश के संबंध में पं. देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री बताते हैं कि इस बार जो नव संवत्सर 2079 आ रहा है, उसकी शुरुआत 2 अप्रैल से होने जा रही है। इस बार के राजा शनि और बृहस्पति मंत्री होंगे। बृहस्पति और शनि एक दूसरे के लिए सम होंगे। नव संवत्सर की शुरुआत राक्षस नामक संवत्सर से होने जा रही है, लेकिन 13 अप्रैल के बाद नल नामक संवत्सर प्रवेश कर रहा है। वेद और संकल्प इत्यादि में राक्षस नामक संवत्सर का ही इस्तेमाल किया जाएगा। बताया कि शनि सूर्य पुत्र कहे जाते हैं और बृहस्पति देव गुरु कहे जाते हैं, इसलिए निश्चित रूप से शनि जिस वर्ष राजा होता है उस वर्ष धरती पर कुछ विशेष चीजें देखने को जरूर मिलती हैं।

शनि न्याय के देवता और नौकरशाहों के ग्रह कहे जाते हैं। शनि को जनतंत्र का भी प्रबल ग्रह कहा जाता है। इसलिए शनि का राजा होना निश्चित तौर पर इस वर्ष नौकरशाहों का दबदबा दिखाई देगा, जो विश्व भर में नौकरशाह है उनका एक प्रभुत्व इस बार दिखाई देगा। उनकी मजबूती देश के अलग-अलग हिस्सों में देखने को मिलेगी और बृहस्पति का मंत्री रूप में आसीन होना देश को धर्म-कर्म के कार्यों में व्यस्त रखेगा, यानी धरती पर धर्म कर्म से जुड़े तमाम कार्य होंगे। ज्योतिषाचार्य पं. देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री ने बताया कि संवत्सर 2079 में चार ग्रहण होने जा रहे हैं। चार ग्रहण में सिर्फ भारतवर्ष में दो ग्रहण ही दिखाई देंगे, जिसमें एक चंद्रग्रहण और एक सूर्यग्रहण ही देखे जा सकेंगे। वह भी उत्तरार्ध में। अप्रैल महीने में चार गोचर में बड़े ग्रहों का राशि परिवर्तन भी हो रहा है। इसमें शनि 29 अप्रैल को राशि परिवर्तन करेंगे। वहीं बृहस्पति राहु और केतु 12 और 13 अप्रैल को राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं। बृहस्पति मीन राशि में जाएगा और राहु केतु अपनी राशि से परिवर्तन करके वक्री होने के बाद दूसरी राशि में जाएंगे। इसलिए ग्रहों की दृष्टि से यह वर्ष बेहद खास रहने जा रहा है। लग्न मुहूर्त भी इस वर्ष अच्छे खासे मिलेंगे और बेहतर नतीजे दिखाई देंगे।

कृषि और मौसम की दृष्टि से देखें तो यह संवत्सर महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि राजा शनि और मंत्री बृहस्पति हैं। इस वर्ष प्रचंड गर्मी पड़ने वाली है, ऐसी गर्मी कई सालों बाद देखने को मिलेगी। वहीं अगर बारिश के हिसाब से देखा जाए तो बरसात इस बार औसत से सामान्य रहेगी, लेकिन कहीं पर बहुत अधिक वर्षा और कहीं पर बहुत ही कम वर्षा देखने को मिलेगी। वहीं रबी और खरीफ की फसल भी इस बार सामान्य से कम होगी। वहीं शनि के राजा होने का सबसे बड़ा असर स्वर्णं और ईंधन पर देखने को मिलेगा और अप्रत्याशित रूप से इस बार सोने व ईंधन के दामों में बढ़ोतरी जारी रहेगी। पंडित पं. देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री ने बताया की महंगाई अपने उच्चतम स्तर पर पहुंचेगी। शनि जनतंत्र का कारक ग्रह माना जाता है। राजनीतिक दृष्टि से भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। नौकरशाहों का प्रभुत्व बढ़ता जाएगा और राजनीति में उथल-पुथल देखने को मिलेगी। अगर बात की जाए तो जग्न लग्न के अनुसार विश्व पटल पर भारत की स्थिति मजबूत होती दिखाई देगी। शनि और बृहस्पति के होने की वजह से मिथुन लग्न सिंह राशि है और आय भाव में सूर्य, बुध और राहु की युति और मंगल की युति भाग्य स्थान में दिखाई दे रही है, यानी यह योग ज्योतिष शास्त्र में अशुभ माना जाता है, जो इस वर्ष में इस लग्न में बन रहा है, इसका प्रभाव बड़े भूकंप प्राकृतिक आपदाओं के रूप में देखने को मिल सकता है।

पंडित पं. देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री कहना है कि भारत की कुंडली वृषभ लग्न कर्क राशि की है और भारत के लिए यह वर्ष शांति और सुकून के साथ रहने वाला है। भारत की कुंडली के मुताबिक कर्क राशि के अनुसार मंगल बृहस्पति और शनि सूर्य की स्थिति बहुत अच्छी होने जा रही है, लेकिन भारत का खर्च इस बार सैनिक और अपनी सुरक्षा की दृष्टि से काफी होने जा रहा है। वहीं भारत के पड़ोसी राष्ट्र पाकिस्तान, चीन और अन्य देशों से भारत को बहुत सावधान होने की स्थिति बता रहा है, क्योंकि मंगल और राहु कुंडली में बैठे हैं और यह विश्वासघाती योग बना रहे हैं। इसलिए भारत को अपने पड़ोसियों से बहुत संभाल कर रहने की जरूरत है। विश्व पटल पर एक भारी तनाव की स्थिति भी दिख रही है, जो इस वर्ष नव संवत्सर के बाद दिखाई देना शुरू होगा। प्राकृतिक दृष्टि से एक नई ऊर्जा के साथ वर्ष का शुभारंभ होने जा रहा है। हिंदू नव संवत्सर की शुरुआत के साथ ही तमाम विकास की योजनाएं और तमाम अच्छे कार्य दिखाई देंगे, क्योंकि जो भी जनधन की हानि का योग था वह अब खत्म होता दिखाई दे रहा है। देश समेत अन्य हिस्सों में भी महामारी की स्थिति तो नहीं दिखाई दे रही है, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं में अधिकता हो सकती है।

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