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Sawan Shivratri पर बन रहा शनि प्रदोष राजयोग, जानिए विशेष जलाभिषेक का समय

नई दिल्ली : श्रावण मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि का पावन पर्व मनाया जाता हैं। शिवरात्रि पर वास्तविक महत्व रात्रि का होता है, इसलिए ज्योतिषीय तिथि की गणना के अनुसार चतुर्दशी तिथि जिस दिन रात्रि तक व्याप्त हो उस दिन को ही शिवरात्रि का पर्व निश्चित किया जाता है। जब चतुर्दशी तिथि शुरू होती है उस समय शिवरात्रि का वास्तविक पुण्यकाल और भगवान शिव के अभिषेक का विशेष समय शुरू होता है।

ज्योतिषाचार्य विभोर इंदूसुत बताते हैं कि चतुर्दशी 15 और 16 जुलाई दोनों दिन उपस्थित रहेगी, लेकिन शास्त्रत्त् दृष्टि से त्रयोदशी और चतुर्दशी का मेल ही शिवरात्रि का मुख्य पुण्यकाल होता है जो 15 जुलाई को बनेगा। इसलिए शनिवार को दिन में त्रियोदशी तिथि रहेगी, लेकिन रात में 8 बजकर 32 मिनट पर त्रयोदशी समाप्त होकर चतुर्दशी तिथि शुरू हो जाएगी। यह पूरी रात व्याप्त रहेगी। इस बार त्रयोदशी और चतुर्दशी की संधि 15 जुलाई की रात में हो रही है। इसलिए 15 जुलाई को ही शिवरात्रि का व्रत और पर्व मनाया जाएगा।

ज्योतिषचार्या अनुराधा गोयल के अनुसार शिवरात्रि तीन विशेष योग के साथ आ रही है। शनि, चन्द्रमा, सूर्य के साथ इस योग का निर्माण कर रही है। इस योग से शनि प्रदोष राजयोग एवं त्रीग्रह योग बनेगा। पूजन का शुभ मुहूर्त 15 जुलाई शाम 8 बजे से 16 की रात दस बजकर 8 मिनट तक रहेगा। चौघड़िया का शुभ मुहूर्त 15 जुलाई रात्रि बारह 12.22 मिनट से प्रारंभ होगा।

ज्योतिषाचार्य विभोर इंदूसुत के अनुसार श्रावण मास में महादेव ने सृष्टि की रक्षा के लिए समुद्र मंथन से निकले विष को अपने कंठ में ग्रहण किया। महादेव के कंठ में विष की ऊष्मा को कम करने के लिए सभी देवताओं ने जल से भगवान शिव का अभिषेक किया और तभी से श्रावण में महादेव के जलाभिषेक की परंपरा आरंभ हुई।

– श्रावण शिवरात्रि – 15 जुलाई, शनिवार
– शिवरात्रि का विशेष पुण्यकाल (त्रयोदशी और चतुर्दशी की संधि) रात 832 से आरंभ
– शिवरात्रि पर सामान्य जलाभिषेक प्रात काल से आरंभ
– विशेष जलाभिषेक का समय रात्रि 832 बजे से

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