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30 साल बाद इस राशि में प्रवेश करेंगे शनि, साढ़ेसाती और ढैय्या से इन राशियों को मिलेगी मुक्ति

नई दिल्‍ली : वैदिक ज्योतिष में शनि को सबसे धीमा ग्रह का दर्जा प्राप्त है। शनि एक राशि में गोचर करने में लगभग ढाई वर्ष लेते हैं। शनि (saturn) को कर्म और लाभ भाव का अधिकार दिया गया है, वहीं वो राजनीति, रहस्य, खनन, तंत्र, गुप्तविद्या ,तेल, खनिज (minerals) के कारक कहे जाते हैं। राजनीति में शनि को जनता का कारक कहा गया है। शनि देव की कृपा के बिना कोई भी उच्च पद पर आसीन नहीं हो सकता है। 17 जनवरी 2023 को शनि 3 दशक के बाद अपनी मूल त्रिकोण राशि (triangle sum) में प्रवेश कर रहे है। उनके इस गोचर से राशियों की साढ़ेसाती और ढैया का विश्लेषण हम करने वाले है।

जब आपकी जन्म राशि (birth sign) यानी चन्द्रमा से बारहवें,लग्न और दूसरे भाव में शनि संचरण करता है तो उसे साढ़ेसाती कहा जाता है। साढ़े सात साल के इस संचरण को आम भाषा में साढ़े साती कहा गया है। आम तौर पर यह कष्टकारक समय होता है लेकिन कुंडली में अगर शनि योगकारक (Shani Yogyakarta) है तो जातक को उतना कष्ट नहीं होता।

जब शनि गोचर काल में राशि से चौथे या आठवें भाव में विराजमान हों तो उस स्थिति में शनि की ढैय्या कहलाती है। दरअसल चौथे भाव से मानसिक सुख और आठवें भाव से दुर्घटना का विचार किया जाता है तो जब भी आपकी चंद्र राशि (moon sign) से शनि इन भाव में गोचर करता है तो उसे शनि की ढैया कहा जाता है।

वर्तमान में शनि अपनी सामान्य राशि मकर (zodiac capricorn) में गोचर कर रहे है तो उसके प्रभाव के कारण मिथुन और तुला राशि के जातकों की ढैय्या चल रही है वही धनु,मकर और कुम्भ राशि के जातक साढ़ेसाती के प्रभाव में चल रहे है। जैसे ही शनि 17 जनवरी को कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे मिथुन और तुला राशि (Gemini and Libra) के जातकों की ढैय्या खत्म हो जाएगी वहीं धनु राशि के जातक शनि के साढ़ेसाती के काल से पूर्ण रूप से मुक्त हो जाएंगे।

17 जनवरी 2023 से कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों की ढैय्या शुरू होगी। कर्क राशि के जातकों के आठवें भाव में वहीं वृश्चिक राशि के जातकों के लिए चौथे भाव से शनि का गोचर शुरू होगा। इसके अलावा मकर राशि की साढ़े साती का अंतिम चरण,कुंभ राशि के जातकों का मध्य और मीन राशि के जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती की शुरुआत होगी।

उपाय
1- शनि को प्रसन्न करने के लिए ॐ हं हनुमते नम: की एक माला अवश्य करें।

2- अपने पितरों का स्मरण करते हुए पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाए।

3- हर शनिवार गरीब की मदद करे, खाना खिलाए और शनि मंदिर में तेल का दान करें।

4- शनि की ढैया या साढ़ेसाती में अगर दुर्घटना हो तो शनि मन्त्र ‘ॐ शन्नो देवी रभिष्टय आपो भवन्तु पीपतये शनयो रविस्र वन्तुनः’ का किसी विद्वान ब्राह्मण से 23 हजार बार जप कराएं।

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