पालमपुर: भाजपा के वरिष्ठ नेता व हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री शान्ता कुमार ने कहा है कि यह दुर्भाग्य की बात है कि लंबी बातचीत, मत्रियों और प्रधानमंत्री के सब प्रकार के आश्वासन के बाद भी किसान आन्दोलन और अधिक तेज होता जा रहा है।
आन्दोलन का अगला दौर नाजुक मोड़ पर पहुंच चुका है। उन्होंने सरकार और किसान नेताओं से आग्रह किया है कि बहुत अधिक सावधानी रखी जाये। कुछ गलत तत्व आन्दोलन में शामिल हो गये हैं। कुछ संदिग्ध एनजीओ परोक्ष रूप से करोड़ों रुपये की सहायता कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आन्दोलन का नेतृत्व खेत में काम करने वाले किसान के हाथ में नहीं है। लगभग सभी नेता किन्हीं निहित स्वार्थों के कारण आन्दोलन को हवा दे रहे हैं। मुख्य रूप से आन्दोलन पंजाब के नेताओं द्वारा चलाया जा रहा है।
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पंजाब में अनाज की पैदावार भी बहुत अधिक होती है और खाद्य निगम इतना अधिक अनाज खरीदती है कि उसके टैक्स और कमीशन का प्रतिवर्ष 5 हजार करोड़ रुपये से अधिक धन बनता है।
नये कानून से किसान अपनी उपज कहीं और भी बेच सकेगा। यह आय कम हो जाएगी। यही कारण है कि पंजाब के बिचैलिये और आढ़ती करोड़ों रुपये के कम्बल, रजाईयां और अनाज धरने पर बैठे लोगों को दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि एक चैनल के समाचार अनुसार एक अंतरराष्ट्रीय एनजीओ एक बड़ा पंडाल लगाकर करोड़ों रुपये का सामान दे रहा है। उसके बड़े तम्बू पर जिस नेता की फोटो है वह आतंकवाद के समय एक हवाई जहाज के अपहरण में दोषी था, पकड़ा नहीं गया। विदेश में रहकर देश विरोधी गतिविधियां कर रहा है। यदि ऐसे समाचार सच हैं तो देश को सावधान होने की जरूरत है।
शान्ता कुमार ने कहा कि कुछ दिन पहले ही शाहीन बाग में 100 दिन धरना चला था। फिर एक नाजुक दौर आया। दंगे करवाये गये थे और 50 बेगुनाह लोगों की हत्या हो गई थी। किसान आन्दोलन भी अब धीरे-धीरे उसी आन्दोलन का रूप लेता जा रहा है।
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