यूक्रेन को लेकर केंद्र की विदेश नीति पर शशि थरूर ने जताया असंतोष
नई दिल्ली । रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के हालात में केंद्र की मोदी सरकार ने इस संघर्ष में जो रुख अपनाया है, उसको लेकर कांग्रेस सांसद और पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर ने केंद्र की रणनीति पर असंतोष व्यक्त किया है। कांग्रेस नेता शशी थरूर ने मंगलवार कहा, मुझे बहुत दुख होता है कि इस तरह का युद्ध उन उद्देश्यों के लिए हो रहा है जो बहुत अच्छी तरह से परिभाषित नहीं हैं। दोनों तरफ से जानमाल का नुकसान काफी ज्यादा लगता है..निर्यात के मामले में यूक्रेन अत्यधिक उत्पादक रहा है.. गेहूं एक छोटी सी उम्मीद यह है कि हमारे पंजाबी किसान अधिक कीमत पर गेहूं बेच सकेंगे।
उन्होंने कहा, यूक्रेन संकट का एक स्पष्ट प्रभाव ईंधन की कीमतों में नाटकीय वृद्धि है। वित्त मंत्री निर्मला ने तेल की कीमत 75 डॉलर प्रति बैरल होने का अनुमान लगाया था, लेकिन यह 100 डॉलर के बराबर है। यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान विदेश राज्य मंत्री और मानव संसाधन विकास मंत्री रह चुके थुरूर ने कहा कि देश ने संघर्ष में तटस्थ रुख क्यों अपनाया है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 मार्च को कहा था कि भारत के रूस और यूक्रेन दोनों के साथ संबंध हैं। फिर भारतीय जो युक्रेन ने फंसे थे, उनको जिन हालात में और कैसे भारत लाया गया उसे बेहतर ढंग से किया जा सकता था। उन्होंने कहा कि वे कभी पूर्वी युक्रेन नहीं गए जहां आज जंग और संघर्ष के हालात है लेकिन आस-पास के मुल्कों में गए हैं जिससे वो वहां की भौगोलिक स्थिति को बहुत बेहतर तरीके से समझते हैं।
उल्लेखनीय है कि मंगलवार को दिल्ली के इंडिया हैबिटैट सेंटर में युक्रेन की फोटो एक्जीबिशन में पहुँचे शशि थरूर ने कहा कि युद्व से पहले के युक्रेन और आज के युक्रेन में बहुत अंतर आ चुका है।
वहीं प्रदर्शनी की आयोजक अवंतिका मित्तल ने आईएनएस से बातचीत में कहा कि युद्व उन्होंने जनवरी में करीब 10 दिन तक वहां के अलग-अलग शहरों से खूबसूरत इमारतों की ये तस्वीरें खिंची जिसके कुछ समय बाद ही वहां की ये इमारते एक ध्वस्त खंडहर में तब्दील हो गई। ये उनके लिए जिंदगी का सबसे यादगार अनुभव रहा।