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साल 1975 में आज के दिन ही रिलीज हुई थी शोले

मुंबई। बॉलीवुड की सबसे आइकॉनिक फिल्मों में से एक ‘शोले’ 15 अगस्त को 45 साल की हो गई है। रमेश सिप्पी की फिल्म ‘शोले’ स्वतंत्रता दिवस पर 15 अगस्त, 1975 को रिलीज हुई थी। यह फिल्म भले ही चार दशक पुरानी हो, लेकिन यह आज भी हर आयु वर्ग के लोगों को पसंद आती है। इस फिल्म में अमिताभ बच्‍चन, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, जया बच्‍चन, अमजद खान और संजीव कुमार मुख्य भूमिका में थे।

रमेश सिप्पी द्वारा निर्देशित इस फिल्म में धर्मेंद्र वीरू और अमिताभ जय के किरदार में थे। अमजद खान ने डाकू गब्बर सिंह का किरदार निभाया था। संजीव कुमार ठाकुर की भूमिका में थे और जया बच्‍चन राधा के किरदार में थी। हेमा मालिनी ने एक साहसी और लगातार बोलते रहने वाली ग्रामीण लड़की बसंती की भूमिका निभाई थी। फिल्म में जय का व्यंग्य, वीरू का हास्य, बसंती की बकबक, ठाकुर का दृढ़ संकल्प, राधा की गंभीरता, गब्बर की दहाड़ ने खूब वाहवाही लूटी थी। ‘शोले’ की पटकथा सलीम खान और जावेद अख्तर ने लिखी थी और फिल्म में आरडी बर्मन का संगीत था। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित हुई थी।

इस फिल्म के सभी किरदार और कई संवाद आज भी लोगों की जुबान पर है। ‘तेरा क्या होगा कालिया’ संवाद आज भी सबके जेहन में है। ‘शोले’ हिन्दी सिनेमा की सबसे प्रशंसनीय फिल्मों में से एक है। फिल्म में गांव रामगढ़ को दिखाया गया था। फिल्म में जय और वीरू की दोस्ती, गब्बर सिंह का डर, सूरमा भोपाली और जेलर का हास्य और तांगे वाली बसंती और उसकी धन्नो ने दर्शकों के दिलों पर अपनी गहरी छाप छोड़ी। इसके अलावा फिल्म के कई दृश्य जैसे वीरू का पानी की टंकी से आत्महत्या का ड्रामा, जय का वीरू के लिए मौसी जी से बसंती का हाथ मांगना और हेलेन का महबूबा महबूबा गाना भी खास है।

‘शोले’ एक ऐसी फिल्म थी जो तकनीक के मामले में अपने समय से आगे थी। यह भारतीय सिनेमा की पहली फिल्म थी जिसने 125 से अधिक शहरों में लगातार 25 सप्ताह (सिल्वर जुबली) तक चली थी। इस फिल्म ने तमिलनाडु के चेन्नई (तब मद्रास), कोयम्बटूर और मदुरै में गोल्डन जुबली मनाई थी। पूरे भारत में इस फिल्म ने 60 से अधिक शहरों में गोल्डन जुबली का रिकॉर्ड बनाया था। इस फिल्म के बॉक्स ऑफिस पर लगातार पांच साल तक प्रदर्शन के लिए इसे ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉडर्स’ में दर्ज किया गया था।

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