देश ही नहीं विदेशों में भी पूजे जाते हैं श्रीराम, दुनिया के कई मुस्लिम देशों में होती है श्रीराम की पूजा
नई दिल्ली : अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी जोरों पर हैं। इस दिन को यादगार बनाने की तैयारी देश ही नहीं विदेश में भी चल रही है। भगवान राम (lord ram) विश्वव्यापी हैं। मॉरीशस, नेपाल, इजरायल सहित कई मुस्लिम देशों में भी भगवान राम की पूजा होती है। कई देशों में ऐसे साक्ष्य मिलें हैं जिनसे साबित होता है कि वहां हजारों वर्षों से भगवान राम की पूजा होती रही है।
उत्तर प्रदेश के संस्कृति विभाग के अयोध्या शोध संस्थान ने अपने रामायण विश्वमहाकोष के एक खंड में इराक में प्राप्त कुछ मूर्तियों के चित्र प्रकाशित किए हैं। अयोध्या शोध संस्थान का दावा है कि दरबंद-ई-बेलुला चट्टान में मिला भित्तिचित्र भगवान राम का है। इराक के सिलेमानिया इलाके में मौजूद बैनुला बाईपास के पास खुदाई में भगवान राम और हनुमान की दुर्लभ प्रतिमाएं पाई गयी हैं। भारत सरकार की तरफ से इस मामले पर मांगी गयी जानकारी के जवाब में इराक सरकार ने एक पत्र लिखकर इस बात की पुष्टि है। इतना ही नहीं इराक सरकार के पुरातत्व विभाग का दावा है कि ये प्रतिमाएं करीब चार हजार साल पुरानी हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश के संस्कृति विभाग ने भी खासतौर पर अयोध्या शोध संस्थान ने इन प्रतिमाओं पर शोध करने की जरूरत बतायी है।
रामायण में वर्णन है कि रावण के भाई अहिरावण ने राम-लक्ष्मण का अपहरण कर अपने पाताल लोक में देवी को उनकी बलि देनी चाही थी, लेकिन हनुमान ने वहां पहुंचकर अहिरावण को मार दिया और अपने पुत्र मकरध्वज को श्रीराम द्वारा यह पातालपुरी दिलवा दी थी। रामायण में वर्णित यह पाताल लोक आज के मध्य अमेरिका के होंडुरास के जंगल में था। इसकी पुष्टि लखनऊ के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज के निदेशक प्रोफेसर भरत राज सिंह ने 2015 और 2016 में की थी। तब यह मामला बहुत चर्चित भी रहा था। इसके बाद अमेरिका के कई वैज्ञानिकों ने माना कि सेंट्रल अमेरिका के होंडुरास में एक जंगल है, वहां पर आदिवासी मंकी गॉड की पूजा करते हैं।
अमेरिकी खोजकर्ता, थियोडोर मोर्डे ने भी 1940 में यही बात कही थी। उन्होंने एक अमेरिकी पत्रिका में यह दावा किया था कि यहां पर लोग मंकी गॉड की पूजा करते हैं। प्रोफेसर भरत राज सिंह ने बंगाली रामायण में यह पाया कि जब अहिरावण राम-लक्ष्मण को लेकर उनकी बलि देने के लिए पाताल लोक जाता है तो हनुमान 70 हजार योजन को पार करके सुरंग के जरिए पाताल लोक पहुंचते हैं और जिस सुरंग के जरिए पाताल लोक पहुंचते हैं वह मध्य प्रदेश में है। मध्य प्रदेश में जंगल है जिसे पाताल लोक का जंगल कहा जाता है और यहीं एक सुरंग है। कहा जाता है कि इसके जरिए राम भक्त हनुमान पाताल लोक पहुंचे थे। इसी 70 हजार योजन(एक योजन में 8 मील या 12.8 किमी होते हैं) के मुताबिक जब उन्होंने पृथ्वी की मोटाई नापी और मध्य प्रदेश के इसी भाग से सीधा शोध करके देखा तो पाया कि यह पूरा 70 हजार योजन सेंट्रल अमेरिका के होंडुरास के मस्कीटिया तक ही जाता है और वहीं पाताल लोक है।
सातवीं शताब्दी ईसा पूर्व से शुरू होकर चौथी शताब्दी तक एट्रस्कैन सभ्यता मध्य इटली के रोम से पश्चिम तक टस्कनी आदि राज्यों तक फैली रही। इस सभ्यता की समानता रामायण संस्कृति से बहुत मिलती है। यहां चित्रों में राम लक्ष्मण, सीताजी का वन गमन, सीताहरण, लवकुश का घोड़ा पकड़ना, हनुमान जी का संजीवनी लाना, प्राचीन इटली में रावन्ना क्षेत्र में मिलता है जो रावण की कथा के समान है। यहां कुछ कलाकृतियां प्राप्त हुई हैं जिनमें स्वर्ण मृग, मारीच, सीताहरण की कथा बिल्कुल समान है। मुखौटा हटाकर रावण द्वारा सीताहरण स्पष्ट अंकित है। आकाशमार्ग से उड़ते हुए घोड़ों के साथ चित्र में जटायु का प्रसंग भी अंकित मिलता है। रोमन सभ्यता से पहले की इसी सभ्यता ने रोम का नामकरण किया है।
अंकोरवाट से लगभग 100 किलोमीटर दूर थाईलैण्ड की सीमा से लगा हुआ सातवीं, आठवीं शताब्दी का महत्वपूर्ण स्थल है वैण्टेन छमार। दक्षिण-पूर्व एशिया की सभ्यता का केन्द्र यह स्थल वर्तमान में जीर्णशीर्ण अवस्था में है। वाल्मीकि रामायण की शुरुआत क्रौंच पक्षी की करुणा से होती है और यह प्रसंग यहां पाये जाने वाले एक मूर्तिशिल्प में सजीव हो उठा है। कम्बोडिया के खमेरू राज्य में राम, लक्ष्मण और हनुमान जी की मूर्तियां भी मिली हैं।
चौहदवीं शताब्दी में जब बर्मा द्वारा थाईलैण्ड की प्राचीन राजधानी अयुध्या पर आक्रमण करके उसे ध्वस्त किया जा रहा था तब बहुत से लोग भागकर वर्तमान बैकांक पहुंचे और नया शहर बसाया। कुछ लोग लाओस के दुर्गम स्थान लुअंग प्रबंग पहुंचे और बौद्ध संस्कृति के साथ रामाण मंदिर भी बनाया। यहां अब प्रतिदिन रामायण मंचित की जाती है। ताड़ पत्र पर रामायण मिलती है।
श्रीलंका के रामगोडा इलाके के ऊपरी मध्य क्षेत्र कैण्डी में भक्त हनुमान का विशाल मंदिर है। यहां उनकी 40 फीट ऊंची प्रतिमा, चाय के बागानों के बीच बहुत भव्यता से स्थापित है। हनुमान जयंती पर यहां अत्यंत विशाल कार्यक्रम होते हैं। मान्यता है कि माता सीता की खोज में आने पर हनुमान जी ने यहीं विश्राम किया था। अशोक वाटिका भी यहीं निकट ही है। सीता माता के आंसुओं का तालाब भी इसी के पास है।
नेपाल के जनकपुर में जानकी मंदिर एक प्राचीन व ऐतिहासिक स्थल है। मंदिर हिन्दू-राजपूत वास्तुकला पर आधारित है। यह नेपाल में सबसे महत्वपूर्ण राजपूत स्थापत्य शैली का उदाहरण है और जनकपुर धाम भी कहलाता है।
कई मुस्लिम देशों में राम से मिलते-जुलते होते हैं नाम
-इजरायल में रामल्लाह और रामाथियल नाम के स्थान हैं।
-ईरान, इराक, सीरिया और लेबनान में पुरुषों के नाम रामेशे भी होते हैं जैसे नावेये रामेशे।
-रामादी और रामादियाह इराक में स्थान हैं।
-रामज़ी-इराक में रामजी यूनुस, रामजी बिन अल शिबह
-रामीरेज स्पेनी व लैटिन नाम।
-रामी यहूदी नाम
-रामसेस-मिस्र के एक बहुत पुराने शासक का नाम। यह संस्कृत के शब्द राम इसुस से निकला है जिसका अर्थ है राम यानि ईश्वर।