युगों-युगों तक श्रीराम मंदिर रहेगा विराजमान
-रामकुमार सिंह
राम मंदिर का निर्माण नागर शैली में कराया गया है। इसे प्रसिद्ध आर्किटेक्ट चंद्रकांत भाई सोमपुरा की टीम ने डिजाइन किया है। इस मंदिर को लेकर ट्रस्टी का दावा है कि एक हजार साल तक इसकी मरम्मत की जरूरत नहीं होगी। यह मंदिर युगों-युगों तक भगवान श्रीराम की महिमा का गान करता रहेगा। राम जन्मभूमि पर बन रहे भव्य मंदिर का निर्माण मुख्य रूप से राजस्थान के मिर्जापुर और बंसी-पहाड़पुर के गुलाबी बलुआ पत्थर और नक्काशीदार संगमरमर से हुआ है। इसके अलावा इसमें 17,000 ग्रेनाइट पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, जिनमें से प्रत्येक का वजन दो टन है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय कहते हैं कि मंदिर के निर्माण में अब तक 21 लाख क्यूबिक फीट ग्रेनाइट, बलुआ पत्थर और संगमरमर का उपयोग किया गया है। यह मंदिर आस्था का केंद्र बनेगा। यह मंदिर श्रीराम की शक्ति को लोगों के सामने लाने में सफल होगा। माना जा रहा है कि 27 जनवरी 2024 से राम मंदिर आम लोगों के लिए खुल जाएगा। विशेषज्ञों की सलाह पर मंदिर के निर्माण में स्टील और साधारण सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है। आईआईटी चेन्नई के परामर्श के बाद रखी गई नींव 12 मीटर गहरी है। नींव को दोबारा भरने में इस्तेमाल की गई मिट्टी 28 दिन में पत्थर में तब्दील हो जाती है। नींव में कुल 47 परतें बिछाई गई हैं। चंपत राय का कहना है कि मंदिर को कम से कम 1,000 वर्षों तक किसी मरम्मत की आवश्यकता नहीं होगी। 6.5 तीव्रता का भूकंप भी इसकी नींव को नहीं हिला पाएगा। मंदिर के भूतल पर गर्भगृह है जबकि पहली मंजिल पर राम दरबार होगा और प्रत्येक स्तंभ में 25-30 कर्व बनाए जाएंगे, जिस पर देवी-देवताओं की आकृतियां उकेरी जायेंगी। अगले वर्ष परकोटे का निर्माण, महर्षि वाल्मीकि, विश्वामित्र, निषाद, शबरी आदि के सात मंदिर भी बनाए जाएंगे। तीसरे चरण में 71 एकड़ में सभागार और परकोटा का निर्माण होगा। इसमें कांस्य भित्ति चित्र और सप्तऋषियों के मंदिर आदि शामिल हैं। इस कार्य को दिसंबर 2025 तक पूरा करा लिया जाएगा।
एक किलो सोना और सात किलो चांदी से बनीं चरण पादुकाएं
अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में स्थापित करने के लिए भगवान की पादुका बनकर तैयार हो गई है जिन्हें एसजी हाईवे पर तिरुपति बालाजी मंदिर में दर्शन के लिए रखा गया है। इस पादुका को हैदराबाद के श्रीचल्ला श्रीनिवास शास्त्री ने तैयार किया है। पादुका को बनाने में एक किलो सोना और सात किलो चांदी का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा पादुका में बहुमूल्य रत्न भी लगाए गए हैं। श्रीचल्ला श्रीनिवास शास्त्री ने इन चरण पादुकाओं के साथ अयोध्या की 41 दिन परिक्रमा की थी। पिछले दो सालों से इन पादुकाओं को रामेश्वरम से बदरीनाथ तक सभी प्रसिद्ध मंदिरों में ले जाया जा रहा है। इन चरण पादुकाओं में सोने और चांदी के अलावा बेशकीमती रत्नों का भी प्रयोग हुआ है। राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भगवान की चरण पादुकाएं भी यहीं पर रखी जाएंगी।
मंदिर के दरवाजों पर दिखेगी सोने की परत
अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में सोने का सिंहासन और संगमरमर पर बने कमल के फूल के आसन के साथ गर्भगृह परिसर में 18 दरवाजों पर सोने की परत चढ़ाई गयी है। गर्भगृह के दरवाजों पर चंद्रपुर से आई सागौन की विशेष लकड़ी से बने दरवाजे पर सोने की परत चढ़ाई जाएगी। राम मंदिर के भूतल पर गर्भगृह परिसर में 46 दरवाजे हैं। मंदिर ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्र के अनुसार श्रद्धालुओं की तरफ से दान किए गए सोने से ही दरवाजों पर परत चढ़ाई जाएगी। गर्भगृह के दरवाजे महाराष्ट्र के चंद्रपुर से आई सागौन की विशेष लकड़ी से तैयार किए गए हैं। इन्हें हैदराबाद के कारीगरों ने विशेष तौर पर तैयार किया है। दरवाजों पर कॉपर की लेर्यंरग होगी और फिर उन पर सोने की परत चढ़ाई जाएगी। मिश्र के अनुसार अयोध्या विवाद पर फैसले के बाद से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पैसे दान किए हैं। इसके साथ ही सोना, चांदी और अन्य बहुमूल्य मैटिरियल भी दान किए गए हैं।
नव्य अयोध्या की मूर्तियों में भी दिखेगी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की झलक
अयोध्या के राजा श्रीराम के स्वागत के लिए पूरी दुनिया लालायित है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रयास है कि यहां पूरी दुनिया को पारंपरिक, सांस्कृतिक धरोहर से लेकर आधुनिकता की झलक देखने को मिले। इसके लिए योगी सरकार ने देश ही नहीं, बल्कि विदेश के कलाकारों को भी आमंत्रित किया है, जो अपनी मूर्तिकला और चित्रकला से मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के जीवन को उकेरेंगे। साथ ही लोगों के दिलों और दिमाग पर भव्य उद्धाटन समारोह की अमिट छाप छोड़ेंगे। योगी सरकार प्रभु श्रीराम के मंदिर उद्घाटन समारोह को जल, नभ और थल से भव्य रूप देने के लिए कई महत्वपूर्ण आयोजन करने जा रही है। मंदिर के उद्घाटन समारोह में आने वाली पीढ़ियों को युगों-युगों तक यादगार बनाने और कलाओं के संरक्षण-संवर्धन के लिए मूर्ति-शिल्प कला की कार्यशाला के आयोजन के निर्देश मुख्यमंत्री योगी ने दिये थे। यही वजह है कि अयोध्या में मंदिर उद्घाटन के भव्य समारोह को इतिहास के कालखंडों में समृद्ध साक्ष्य के रूप में संजोने के लिए मूर्तिकला की कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इसके लिए देश और विदेश के दिग्गज मूर्ति और शिल्प कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। यह कलाकार रामायण परंपरा और प्रभु श्रीराम के जीवन पर आधारित विभिन्न प्रसंगों से जुड़ी हुई मूर्तियों का निर्माण करेंगे। वहीं इन मूर्तियों के जरिये प्रभु श्रीराम के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा।
देश ही नहीं, विदेशों में भी चित्रकला के माध्यम से पारंपरिक कलाओं को संरक्षित किया गया है। यह हमें प्राचील काल की विविधताओं और इतिहास से रूबरू कराता है। इन चित्रकलाओं में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्श रूपों एवं रामायण से जुड़े विभिन्न प्रसंगों का चित्रांकन भी शामिल है। इसे ध्यान में रखते हुए योगी सरकार मंदिर उद्घाटन समारोह को चित्रकला के माध्यम से संरक्षित करेगी। इसके लिए उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी द्वारा ख्याति प्राप्त चित्रकारों का चित्रकला शिविर आयोजित कराएगा, जिसमें श्रीराम से जुड़े विभिन्न प्रसंगों को 108 चित्रों का चित्रांकन किया जाएगा। वहीं योगी सरकार अयोध्या के विभिन्न घाटों एवं स्थलों पर रामायण से जुड़ी कलाकृतियों की स्थापना के लिए दो करोड़ की धनराशि खर्च करेगी। इन कलाकृतियों के निर्माण की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी, लखनऊ को सौंपी गई है। राज्य ललित कला अकादमी की ओर से अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों के जरिये कलाकृतियों का निर्माण किया जाएगा। साथ ही इन कलाकृतियों की आधुनिक रूप से साज सज्जा भी की जाएगी।
भव्य रेलवे स्टेशन और अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट
त्रेतायुग में सर्वसुविधा संपन्न रही श्रीराम की नगरी अयोध्या का प्राचीन वैभव दोबारा वापस लौट रहा है। एक तरफ श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी चल रही है, वहीं दूसरी तरफ अयोध्या नगरी को दिव्य स्वरूप प्रदान करने की कवायद तेज गति से चल रही है। केन्द्र और राज्य सरकार के प्रयासों से अयोध्या में जहां अन्तरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का निर्माण हुआ है, तो वहीं वल्र्ड क्लास सुविधाओं से लैस रेलवे स्टेशन की सौगात भी जल्द ही अयोध्यावासियों को मिल जाएगी। यह देश के सबसे खूबसूरत और आधुनिक सुविधाओं से संपन्न रेलवे स्टेशनों में से एक होगा। अयोध्या में लगभग बनकर तैयार विश्व स्तरीय रेलवे स्टेशन के फेज 1 का काम पूरा हो चुका है। इसमें पहले चरण में अयोध्या स्टेशन के विस्तार को लेकर रेलवे 240 करोड़ रुपये खर्च किया जा रहा है। स्टेशन को नया लुक दिया जा रहा है। इसमें खूबसूरत भवन, पार्किंग, कर्मचारियों के लिए आवास, रेलवे पुलिस के लिए कार्यालय, तीन नए प्लेटफार्मों का निर्माण, रोड निर्माण, ड्रेनेज संबंधी कार्य सहित अन्य काम हो रहे हैं। अयोध्या स्टेशन की र्बिंल्डग की बात करें तो यह 10 हजार वर्गमीटर में फैला है। रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस (राइट्स) के जेजीएम, एके जौहरी के मुताबिक अयोध्या रेलवे स्टेशन का काम पूरा हो गया है। यहां बुजुर्गों और महिलाओं की सुविधा के लिए लिफ्ट व एस्केलेटर, एसी र्वेंटग रूम, वॉशरूम, पेयजल बूथ, फूड प्लाजा समेत अन्य सुविधाएं तैयार हो चुकी हैं। पूरे भवन को एसी बनाया गया है। दिव्यांगों के लिए रैंप की व्यवस्था की गयी है। स्टेशन करीब तीन किलोमीटर लंबा होगा।
अयोध्या रेलवे स्टेशन के विस्तार का काम 2018 में शुरू हुआ था। पहले चरण में बने भवन को श्रीराम मंदिर की तर्ज पर भव्य और आकर्षक बनाया गया है। भवन में लगी टाइल्स, पत्थर, शीशे, दरवाजे, लार्इंटग आदि इसकी भव्यता का एहसास करा रहे हैं। भवन के बीच में लगा भारी भरकम पंखा व ठीक उसके नीचे बनी फर्श की डिजाइन का आकर्षण यात्रियों का मन मोहने को तैयार है। यही नहीं, स्टेशन परिसर के बाहर का विशाल परिसर भी इसकी भव्यता का गवाह बन रहा है। गेट भी बनाए गए हैं। अयोध्या रेलवे स्टेशन पर तीन प्लेटफॉर्म, महिला, पुरुष एवं वीआईपी प्रतीक्षालय, फूड प्लाजा, कियोस्क, किताबों की दुकान, क्लॉक रूम, पर्यटक सूचना, यात्रा डेस्क, वाटर कूलर, दिव्यांगों के लिए अलग शौचालय, शिशु देखभाल कक्ष, यूएस रूम, बीमार कक्ष, लिफ्ट, 4 एस्केलेटर के अलावा बड़े कॉनकोर्स, वीआईपी लाउंज, प्रतीक्षा क्षेत्र, पर्यटक सूचना कार्यालय, रिटार्यंरग रूम और लेडिज-जेंट्स डॉरमेट्री आदि सुविधाएं मिलेंगी। वहीं दूसरे चरण में शेष एयर कॉनकोर्स का कार्य प्रगति पर है जिसकी लागत 480 करोड़ रुपए है।
वहीं मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के निर्माण का कार्य भी लगभग पूर्ण हो चुका है। अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के रनवे की लंबाई 2200 मीटर व 45 मीटर चौड़े रनवे का कार्य शत-प्रतिशत पूर्ण है। दूसरे चरण में रनवे 3700 मीटर का हो जाएगा। टर्मिनल र्बिंल्डग का निर्माण कार्य पूरा हो गया है। अब श्रीराम एयरपोर्ट 50 हजार स्क्वायर फीट का हो जाएगा। रनवे पर नाइट र्लैंंडग के लिए सभी इक्वीपमेंट लगा दिये गये हैं। कोहरे और धुंध में र्लैंंडग के लिए कैट वन और रेसा सुविधाओं का काम भी पूरा हो गया है। र्लैंंडग लाइट्स भी लगा दी गई है। एटीसी टावर बनाया जा चुका है। फायर स्टेशन बनाया जा चुका है। एयरपोर्ट के लिए फायर ब्रिगेड की गाड़ियां भी आ गई हैं। यहां पर एक साथ आठ एयरक्राफ्ट पार्किंग की सुविधा उपलब्ध है।
परियोजना में शामिल कुल 821.34 एकड़ भूमि का अधिग्रहण भी पूरा हो चुका है। टर्मिनल र्बिंल्डग में कुल 500 यात्रियों के आवागमन की क्षमता है। 200 वाहन पार्किंग 150 कार एव 50 बड़े वाहन की सुविधा भी है। इसके अलावा एक एप्रेन का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। परियोजनाओं की कुल स्वीकृति लागत 328 करोड़ रुपए हैं। भविष्य में रनवे को 3750 मीटर तक बढ़ाए जाने की योजना है। उल्लेखनीय है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बिल्कुल उसी तरह बनाया गया है जिस तरह श्रीराम मंदिर का निर्माण हो रहा है। यहां तक कि उसमें भी वही पत्थर लगाए जा रहे हैं और वैसी ही नक्काशी की गयी है। एयरपोर्ट पर उतरने के साथ ही यात्रियों को अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का एहसास ही नहीं होगा बल्कि उसकी झलक भी दिखाई देगी।
राम मंदिर तक पहुंचना होगा आसान
राम मंदिर तक श्रद्धालुओं की सुगम पहुंच के लिए बनाए जा रहे विभिन्न पथों के निर्माण में तेजी लायी गयी है। इसी कड़ी में राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 27 से मोहबरा व टेढ़ी बाजार होते हुए राम मंदिर तक बनाए जा रहे फोर लेन का कार्य भी तेजी से पूरा किया गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग 27 से मोहबरा बाजार होते हुए टेढ़ी बाजार की ओर से राम जन्मभूमि तक फोरलेन का निर्माण 21 नवंबर 2022 से प्रारंभ हुआ था। यह कार्य भी लगभग पूरा हो चुका है। 1.360 किलोमीटर लंबे इस मार्ग के निर्माण में 44.98 करोड़ रुपए की लागत आई है। निर्माण कार्य पूरा हो जाने पर लोगों को राष्ट्रीय राजमार्ग से श्रीराम जन्मभूमि तक जाने के लिए जाम का सामना नहीं करना पड़ेगा और आसानी से मंदिर तक श्रद्धालु पहुंच सकेंगे।
अयोध्या की दीवारों पर रामायण काल के प्रमुख प्रसंगों का मनमोहक चित्रण करेगा आकर्षित
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के भव्य प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के पहले पूरे क्षेत्र का कायाकल्प हो जायेगा। इस क्रम में, श्रीराम जन्म भूमि मंदिर को जोड़ने वाले सभी प्रमुख मार्गों पर रामायण काल के प्रमुख प्रसंगों का मनमोहक चित्रण कराने की दिशा में योगी सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों में तेजी लाई जा रही है। सीएम योगी की मंशा अनुसार, अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की ओर जाने वाले सभी प्रमुख मार्गों की दीवारों को टेराकोटा फाइन क्ले म्यूरल कलाकृतियों से सजाने की प्रक्रिया शुरू की है। प्रतिष्ठित धर्म पथ रोड के किनारे टेराकोटा कलाकृतियों व भित्तिचित्रों की आगामी डिजाइन, निर्माण और स्थापना, इसकी समकालीन जीवंतता को बढ़ाने के साथ-साथ अयोध्या की विरासत को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है। यह उल्लेखनीय प्रयास केवल एक मार्ग को सजाने के बारे में नहीं है, यह परंपरा और आधुनिकता के मिश्रण का प्रतीक है जो तीर्थयात्रियों और आगंतुकों को अयोध्या के कालातीत आकर्षण का अनुभव करने के लिए स्वागत करता है। धर्म पथ सड़क के किनारे टेराकोटा भित्तिचित्रों के निर्माण से यहां आध्यात्मिक शांति की तलाश में बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों और यात्रियों को आकर्षित करेगा। ये भित्तिचित्र दृश्य इतिहास के रूप में काम करेंगे, जो पवित्र्र ंकवदंतियों, महाकाव्यों और कहानियों का वर्णन करते हैं, जो सदियों से अयोध्या के हृदयस्थल पर अंकित हैं। ये भित्तिचित्र तीर्थयात्रियों के सांस्कृतिक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करेंगे जो पवित्र अतीत और कोलाहल भरे वर्तमान के बीच की खाईं को पाटते हैं। ये भित्तिचित्र न केवल कलात्मक अभिव्यक्ति बन जाते हैं, बल्कि ज्ञान, समझ और एकता के मार्ग भी प्रशस्त करेंगे। ये शहर के सौंदर्यीकरण को बढ़ावा देने के साथ ही ओपन एयर गैलरी के तौर पर भी कार्य करेंगे।
टेराकोटा भित्तिचित्र पहल ऐतिहासिक सिटी सर्किट और हेरिटेज वॉक की एडीए की रणनीति के अनुरूप है। कला, विरासत और बुनियादी ढांचे को एकीकृत करके, यह पहल ऐसे स्थान बनाने के रणनीतिक उद्देश्य को पूरा करती है जो निवासियों और यहां आने वाले तीर्थयात्रियों के बीच समान रूप से गर्व और अपनेपन की भावना पैदा करेगी। इसके अतिरिक्त, यह परियोजना सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने और अयोध्या को वैश्विक पर्यटन गंतव्य के रूप में स्थापित करने के एडीए के लक्ष्य में सीधे योगदान देगी। इस क्रम में, बनने वाले 50 से ज्यादा म्यूरल स्कल्प्चर्स व भित्ति चित्र र्पेंंटग्स की ऊंचाई 9 फीट और चौड़ाई 20 फीट होगी। इनकी थीम अलग-अलग रामायण कांड पर आधारित होगी। इन्हें महीन मिट्टी (केवल नदी तल की फाइन क्ले) का उपयोग होगा। संक्षारण से बचने के लिए कलाकृतियों के निर्माण के लिए चयनित मिट्टी यूरिया और नमक से मुक्त होगी। वहीं, कलाकृतियों की र्बेंकग (फार्यंरग) को 970-1050-डिग्री तापमान पर पकाया जाएगा। भित्तिचित्रों का उभार 8 इंच होगा तथा प्रत्येक भाग, टुकड़े और ब्लॉक को पॉलिमर मोर्टार द्वारा दीवार पर लगाया जाएगा जिन पर वेदर र्कोंटग वाले पेंट ही लगाए जाएंगे।