नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर साधी चुप्पी,चीन भेजा वियतनाम युद्ध वाला सिग्नल
बीजिंग : अमेरिकी कांग्रेस की स्पीकर नैंसी पेलोसी के एशिया दौरे को लेकर काफी नाराज है। रविवार से पेलोसी एशिया के चार देशों, सिंगापुर, जापान, साउथ कोरिया और मलेशिया की यात्रा पर रवाना हुई हैं। पेलोसी ने अपने दौरे की लिस्ट से ताइवान को हटा दिया है। मगर इसके बाद भी चीन का पारा हाई है। चीन ने ताइवान के करीब एक मिलिट्री ड्रिल का आयोजन किया है। इस ड्रिल के दौरान चीन ने अमेरिका को वॉर सिग्नल्स भेजे हैं। वॉर सिग्नल के दौरान चीन ने ‘ये मत कहना कि हमने तुम्हें चेतावनी नहीं दी,’ इसका प्रयोग किया। चीन उस समय से अमेरिका पर भड़का हुआ है जब पेलोसी ने अपने ताइवान दौरे का ऐलान किया था। चीन की तरफ से अमेरिका को मिलिट्री एक्शन तक की धमकी दे दी गई थी। सिर्फ इतना ही नहीं चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जब अपने अमेरिकी समकक्ष जो बाइडेन के साथ पिछले दिनों फोन पर बात की थी तो उस समय भी उन्होंने वॉर्निंग दी थी।
पेलोसी ने अपने पूर्वी एशिया के दौरे का ऐलान करते हुए एक आधिकारिक बयान जारी किया। उन्होंने इस बयान में कहा कि वो अमेरिकी कांग्रेस के एक प्रतिनिधिदल के साथ चार देशों का दौरा करेंगी। इस दौरे पर वो कोविड-19 महामारी के अलावा क्लाइमेट चेंज, सुरक्षा और लोकतांत्रिक शासन पर चर्चा करेंगी। पेलोसी ने हालांकि अभी तक अपने ताइवान दौरे को लेकर कोई पुष्टि नहीं की है।चीन को डर है कि पेलोसी ताइवान जा सकती हैं।
इससे पहले जब पेलोसी से उनके ताइवान दौरे के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने इस पर कोई भी जवाब नहीं दिया था। पेलोसी ने कहा था कि वो सुरक्षा की वजह से अपने ट्रैवल प्लान पर बात नहीं कर सकती हैं। इसके अलावा अमेरिकी मिलिट्री को भी पेलोसी के दौरे को लेकर काफी टेंशन थी। मिलिट्री को डर था कि चीनी सेना पेलोसी के प्लेन को गिरा सकती है। नैंसी पेलोसी पहले अप्रैल माह में ताइवान के दौरे पर जाने वाली थीं। लेकिन कोविड-19 पॉजिटिव होने की वजह से उन्होंने अपना दौरा टाल दिया था।
पेलोसी के ताइवान दौरे का ऐलान चीन को हजम नहीं हुआ था। चीन, ताइवान को अपनी सीमा मानता है। चीन इस समय ताइवान के करीब पिंगतान द्वीप पर मिलिट्री एक्सरसाइज का आयोजन कर रहा है। ये द्वीप फुजियान प्रांत में आता है। हाल के दिनों में चीन और अमेरिका के बीच इस तनातनी का असर दक्षिण चीन सागर पर भी देखा गया था। इस दौरान अमेरिका का युद्धपोत तक नजर आया था। कई विशेषज्ञ मानने लगे थे कि ताइवान की वजह से दोनों देशों के बीच जंग भी छिड़ सकती है।
ग्लोबल टाइम्स ने एक थिंक टैंक की तहवाले से इस वॉर सिग्नल का प्रयोग किया है। इस वॉर सिग्नल का प्रयोग चीन ने इससे पहले सन् 1962 में भारत के खिलाफ हुई जंग में किया और फिर इसके बाद चीन-वियतनाम के बीच हुई सन्1979 की जंग में किया गया था। यांग मिनंग्जे जो देश के टॉप थिंक टैंक इंस्टीट्यूट ऑफ ताइवान स्टडीज के मुखिया हैं, वो मानते हैं कि पेलोसी के प्लेन को फाइटर जेट्स के जरिए घेरना भी एक योजना का हिस्सा था। उन्होंने कहा कि अमेरिका को चीन के लोगों के संकल्प को कम करके आंकने की भूल नहीं करनी चाहिए।