ब्रेकिंग

साम्यवादी विचारधारा के सबसे मुखर आवाज सीताराम येचुरी का हुआ निधन

नई दिल्ली ( दस्तक ब्यूरो) : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया है। वह लंबे समय से बीमार थे। 72 वर्षीय येचुरी की हालत पिछले कुछ दिन से गंभीर बनी हुई थी और उन्हें कृत्रिम श्वसन प्रणाली पर रखा गया था। उनका श्वसन नली संक्रमण का उपचार किया जा रहा था। येचुरी को सीने में निमोनिया की तरह के संक्रमण के उपचार के लिए 19 अगस्त को एम्स में भर्ती कराया गया था। सीताराम येचुरी अपने पीछे पत्नी सीमा चिश्ती येचुरी और बेटी अखिला येचुरी को छोड़ गए हैं। उनके बेटे आशीष का 2021 में निधन हो गया था।

येचुरी ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) के छात्र नेता के तौर पर अपना राजनीतिक कैरियर शुरू किया और धीरे-धीरे राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते हुए वह सीपीएम में सर्वोच्च पद पर पहुंचे। सीताराम येचुरी को एक सौम्य नेता के रूप में जाना जाता था। येचुरी कम्युनिस्ट विचारधारा को मानने वाले शख्स थे। सिर्फ 32 साल में उन्हें सीपीएम की केंद्रीय कमेटी का सदस्य बनाया गया और वह उस वक्त के सबसे युवा नेता थे जिन्हें इस महत्वपूर्ण कमेटी में जगह मिली थी।

सीताराम येचुरी 1990 के दशक से गठबंधन की राजनीति का प्रमुख चेहरा बने जब जनता दल के अलग-अलग धड़े कांग्रेस को सत्ता से बाहर रखने के लिए साथ आए। येचुरी 1996 में ज्योति बसु को प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए पार्टी नेतृत्व के खिलाफ खड़े हो गए। बाद में ज्योति बसु ने भी कहा था कि यह एक बड़ी गलती थी।

सीताराम येचुरी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1974 में जेएनयू में स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया से की। इसके बाद वह सीपीएम में शामिल हुए और इंदिरा गांधी सरकार के द्वारा लगाए गए आपातकाल का विरोध करने की वजह से उन्हें जेल में भी रहना पड़ा।

जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष पद का चुनाव जीता। 1984 में उन्हें प्रकाश करात के साथ केंद्रीय कमेटी में शामिल किया गया और 1992 में वह सीपीएम पोलित ब्यूरो के सदस्य बने थे। वो वामपंथी साम्यवादी विचारधारा के मुखर प्रवक्ता थे और भारत में लोकतांत्रिक मूल्यों के संरक्षण के लिए हमेशा तत्पर रहे।

Related Articles

Back to top button