दुनिया भर में सुस्ती बढ़ी लेकिन भारत पर असर नहीं, 7% के ग्रोथ अनुमान पर कायम ADB
नई दिल्ली: दुनिया भर में लगातार मंदी की आशंकाओं में बढ़त देखने को मिल रही है, और इसका विकसित देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर असर भी देखने को मिल रहा है. हालांकि लगातार बदलती आर्थिक स्थितियों के बीच भी भारतीय अर्थव्यवस्था की सेहत पर असर नहीं दिख रहा है. एशियन डेवलपमेंट बैंक ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमानों में कोई बदलाव नहीं किया है.
हालांकि दूसरी तरफ एडीबी ने माना है कि एशिया में पिछले अनुमानों के मुकाबले सुस्ती बढ़ सकती है. वही कई अन्य एजेंसी पहले ही संकेत दे चुकी हैं कि यूरोपियन देशों में दबाव बढ़ सकता है. एडीबी ने 2022-23 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि सात फीसदी रहने का जो अनुमान जताया है. इससे पहले सितंबर में भी इतनी ही ग्रोथ का अनुमान दिया गया था. यानि साफ है कि सितंबर से रिपोर्ट दिए जाने के वक्त में दुनिया भर के सामने आई चुनौतियों का भारत पर असर नहीं पड़ा है.
2021-22 में देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि 8.7 फीसदी रही थी. इसी के साथ ही उसने वित्त वर्ष 2023-2024 के लिए भी जीडीपी वृद्धि के अनुमान को 7.2 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा है. वहीं रिपोर्ट मे कहा गया है कि पूरे एशिया की आर्थिक ग्रोथ में और सुस्ती बनी रह सकती है. एडीबी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस वर्ष एशिया 4.2 फीसदी की दर से बढ़ेगा, 2023 में उसकी वृद्धि 4.6 फीसदी की दर से होने का अनुमान है. हालांकि पहले उसने इस वर्ष एशिया की वृद्धि दर 4.3 फीसदी और 2023 में 4.9 फीसदी रहने का अनुमान जताया था.
रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक स्तर पर प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था के 7 फीसदी की दर से वृद्धि करने का अनुमान है जिसकी वजह उसकी मजबूत घरेलू बुनियाद है. इसमें आगे कहा गया कि उच्च आवृत्ति वाले कुछ हालिया संकेतक अनुमान से कहीं अधिक अनुकूल हैं मसलन उपभोक्ताओं का विश्वास, बिजली आपूर्ति, पीएमआई जबकि कुछ ऐसे संकेतक हैं जो पूरी तरह से अनुकूल नहीं हैं वे हैं निर्यात विशेषकर कपड़ा और लौह अयस्क का तथा उपभोक्ता उत्पादों का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक.
इसमें कहा गया कि 2023-24 के लिए 7.2 फीसदी के वृद्धि के अनुमान को बरकरार रखने की वजह संरचनात्मक सुधार और निजी निवेश को उत्प्रेरित करने वाले सार्वजनिक निवेश के सकारात्मक प्रभाव हैं. एडीबी ने कहा, भारत में दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) के बीच अर्थव्यवस्था 6.3 फीसदी की दर से बढ़ी है, जो सार्वजनिक खपत में 4.4 फीसदी का संकुचन दर्शाता है. जबकि वैश्विक स्तर पर नरमी के बावजूद निर्यात 11.5 फीसदी की दर से बढ़ा.