उत्तराखंड

सीसीटीवी कैमरे से रोकी जाएगी जंगलों के लकड़ियों की तस्करी!

देहरादून (निहाल): उत्तराखंड राज्य में धीरे-धीरे ठंड का मौसम शुरू हो रहा है। हालांकि, इस ठंड के मौसम के दौरान लकड़ियों की खपत काफी अधिक बढ़ जाती है। जिसके चलते जंगलात की लकड़ियों की तस्करी और वन निगम के लॉट्स से लकड़ियों की चोरी होने के मामले भी काफी अधिक बढ़ जाते है। ऐसे में जंगलात की लकड़ियों और वन निगम के लॉट्स से लकड़ियों की तस्करी या फिर चोरी ना हो सके इसके लिए वन विभाग सीसीटीवी के इस्तेमाल पर जोर दे रहा है। आखिर क्या है विभाग की रणनीति? देखिए इस रिपोर्ट में….

उत्तराखंड राज्य के खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में शीतकाल के दौरान भीषण ठंड पड़ती है। जिसके चलते लकड़ियों का काफी अधिक इस्तेमाल बढ़ जाता है। लिहाजा, जंगलात की लकड़ियों की तस्करी और चोरी का के मामले भी बढ़ जाते है। हालांकि, सामान्य दिनों में भी बड़े स्तर पर लकड़ियों की तस्करी होती है। जिसपर लगाम लगाने में वन महकमा पहले ही नाकाम साबित हो चुका है। ऐसे में शीतकाल के दौरान होने वाली लकड़ियों की तस्करी पर लगाम लगाने की कवायत में वन महकमा जुट गया है।

विभागीय आंकड़ों के अनुसार हर साल करीब 750 अवैध कटान के मामले सामने आ रहे है। यही नहीं, इस अवैध कटान के मामले में वन विभाग 50 फीसदी लड़की भी जप्त नहीं कर पा रही है। ऐसे में वन विभाग की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़े हो रहे है। कि आखिर क्यों अवैध कटान पर लगाम नहीं लग पा रहा है साथ ही अवैध कटान मामले में लकड़ियों की जप्ती इतना कम क्यों हो रही है। आंकड़ों के अनुसार, साल 2016 से साल 2021 के बीच करीब 4000 मामले सामने आए। जिसमे लगभग 4000 घन मीटर पड़ों की लकड़ी के कटने का अनुमान जताया गया है। बावजूद इसके करीब 1780 घन मीटर लकड़ी ही जब्त हो पाई है।

तो वही, शीतकाल के दौरान जंगलात की लकड़ियों की तस्करी और चोरी को रोकने के लिए वन महकमा सीसीटीवी का इस्तेमाल करने की बात कह रहा है। ज्यादा जानकारी देते हुए प्रमुख सचिव वन, आर के सुधांशु ने बताया कि इस संबध में वन विभाग को स्पष्ट निर्देश दिए गए है कि डीएफओ के माध्यम से समय समय पर निरीक्षण और औचक निरीक्षण करे। इसके अलावा भी जो वन निगम के लकड़ियों के जो लॉट्स होते है उसमे भी चोरी के मामले सामने आते है। जिसके चलते निर्णय लिया गया है कि जितने भी वन निगम के डिपो है उसमे सीसीटीवी लगवाया जाएगा। ताकि तस्करी और चोरियो को रोका जा सके।

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