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कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए अब तक 845 बच्चों को ही मिली पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रेन स्कीम के तहत मंजूरी

कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के दौरान अनाथ हुए 845 बच्चों को ही अब तक पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रेन स्कीम के तहत अप्रूव किया गया है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को इसकी जानकारी दी. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि ‘पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रेन’ योजना के तहत सहायता के लिए प्राप्त 3,915 आवेदनों में से 845 बच्चों के आवेदनों को मंजूरी दे दी गई है.

मंत्रालय इस योजना के लिए दिशा-निर्देश लेकर आया है जिसमें सभी स्तरों पर जिम्मेदारियां तय की गई हैं. केंद्रीय स्तर पर योजना के क्रियान्वयन के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय नोडल मंत्रालय होगा. बाल संरक्षण सेवा योजना को लागू करने वाले राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में महिला एवं बाल विकास विभाग या सामाजिक न्याय विभाग इस योजना के लिए नोडल विभाग होगा. पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना के क्रियान्वयन हेतु विभाग के अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव/सचिव राज्य नोडल अधिकारी होंगे.

स्टाइपेंड की राशि बढ़ाकर की जाएगी 4 हजार रुपए

अधिकारी ने कहा कि, ”वर्तमान में 2000 रुपए हर महीने स्टाइपेंड दिया जा रहा है जिसे बढ़ाकर 4000 रुपए किया जाएगा. कैबिनेट का फैसला आने के बाद इसमें संशोधन किया जाएगा. हालांकि, हमने उन राज्यों के साथ सक्रिय बातचीत की, जहां वे अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं. इसलिए केंद्र और राज्यों के बीच 10 लाख के इस कोष के अलावा इन बच्चों के लिए अतिरिक्त धन उपलब्ध है.”

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा था कि किसी भी राज्य को कोविड-19 से मरने वाले लोगों के परिजन को 50,000 रुपए की अनुग्रह राशि देने से केवल इस आधार पर इनकार नहीं करना चाहिए कि मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना वायरस को मौत का कारण नहीं बताया गया है. कोविड-19 के कारण मारे गए लोगों के परिजन को 50,000 रुपए की अनुग्रह राशि देने की सिफारिश राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने की थी.

न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि कोविड-19 की वजह से मृत्यु प्रमाणित किए जाने और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकार/जिला प्रशासन के पास आवेदन जमा करने की तारीख के 30 दिन के भीतर राज्य आपदा राहत कोष से मुआवजा वितरित किया जाए. पीठ ने राज्यों और केंद्र को यह भी आदेश दिया कि वह प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए इस योजना का व्यापक प्रचार करें.

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